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सोनम वांगचुक नहीं, सरकार आतंकी : पीयूसीएल

khaskhabar.com: बुधवार, 01 अक्टूबर 2025 5:51 PM (IST)
सोनम वांगचुक नहीं, सरकार आतंकी : पीयूसीएल
उदयपुर। लद्दाख के पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर उदयपुर में विभिन्न संगठनों और नेताओं ने सरकार पर तीखे आरोप लगाए हैं। पीयूसीएल के अध्यक्ष अरुण व्यास ने कहा कि आतंकी सोनम वांगचुक नहीं, बल्कि सरकार है। उन्होंने कहा कि जब तक वांगचुक सरकार के साथ थे, तब तक उन्हें सम्मानित किया जाता रहा, लेकिन जैसे ही उन्होंने सरकार को उसके अधूरे वादों की याद दिलाई, वे अचानक देशद्रोही घोषित कर दिए गए। व्यास ने सवाल किया कि आखिर यह देशद्रोही होने का कौन-सा पैमाना है, जिसमें जनता की आवाज़ उठाने वाले को अपराधी बना दिया जाता है। पीयूसीएल के सचिव याकूब मोहम्मद ने बताया कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के विरोध में राष्ट्रपति के नाम उदयपुर के जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन में मांग की गई है कि सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए, लद्दाख में लगाए गए कर्फ्यू को हटाया जाए और इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया जाए। इसके साथ ही जनता पर बोलने, लिखने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर लगी पाबंदियों को समाप्त करने, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने, वहां की पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने के लिए खनन माफिया पर रोक लगाने, सभी गिरफ्तार लोगों को मुक्त करने और 26 सितम्बर को हुई गोलीबारी की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग रखी गई। भाकपा (माले) के राज्य सचिव शंकर लाल चौधरी ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाया था, तब वादा किया गया था कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन छह वर्ष बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ है। न तो वहां चुनाव कराए गए और न ही कोई ठोस विकास कार्य किया गया। जनता की पिछले तीन सालों से चल रही मांगों और शांतिपूर्ण आंदोलनों को बार-बार नज़रअंदाज़ किया गया है। चौधरी ने कहा कि वर्तमान में जारी भूख हड़तालों के बावजूद कोई पहल सरकार की ओर से नहीं की गई, यहां तक कि दो बुजुर्ग भूख हड़तालियों की हालत गंभीर है। ऐसी स्थिति में शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक साबित करने और उसकी आड़ लेकर सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे काले कानून के तहत गिरफ्तार करना लोकतंत्र के माथे पर एक काला धब्बा है।
माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि अंग्रेजों के शासन में भी विरोधियों को दबाने के लिए इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल नहीं किया गया था। लेकिन मौजूदा सरकार ने तो तानाशाही में अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और सांसद अमरा राम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जोधपुर जेल में बंद सोनम वांगचुक से मिलने की अनुमति चाही, लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी। सिंघवी ने कहा कि यह कदम सांसद के विशेषाधिकार का भी सीधा हनन है।
लोकतांत्रिक मंच के सचिव हेमेन्द्र चण्डालिया ने कहा कि आज देश में लोकतंत्र का स्वरूप ही बदल गया है। जनता की आवाज़ दबाई जा रही है और तंत्र को लोक के सामने खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आम लोगों की राय और उनके अधिकारों का दमन कर रही है।
पर्यावरण कार्यकर्ता और एडवोकेट मन्ना राम डांगी ने कहा कि सोनम वांगचुक ने हमेशा देश की सेवा की है और उन्होंने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब पर्यावरण की रक्षा करना और सरकार को उसके अधूरे वादों की याद दिलाना भी देशद्रोह माना जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार हिम्मत सेठ ने कहा कि सोनम वांगचुक ने बर्फीले इलाकों में सैनिकों के लिए विशेष टेंट बनाए थे, जिनसे उन्हें कड़ी ठंड से राहत मिलती थी। लेकिन आज उसी व्यक्ति को देशद्रोही कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आज हम चुप रह गए तो आने वाले समय में यह सरकार किसी भी आवाज़ को दबाने और किसी भी नागरिक का दमन करने से पीछे नहीं हटेगी।

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