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सोनम वांगचुक नहीं, सरकार आतंकी : पीयूसीएल

माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि अंग्रेजों के शासन में भी विरोधियों को दबाने के लिए इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल नहीं किया गया था। लेकिन मौजूदा सरकार ने तो तानाशाही में अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और सांसद अमरा राम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जोधपुर जेल में बंद सोनम वांगचुक से मिलने की अनुमति चाही, लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी। सिंघवी ने कहा कि यह कदम सांसद के विशेषाधिकार का भी सीधा हनन है।
लोकतांत्रिक मंच के सचिव हेमेन्द्र चण्डालिया ने कहा कि आज देश में लोकतंत्र का स्वरूप ही बदल गया है। जनता की आवाज़ दबाई जा रही है और तंत्र को लोक के सामने खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आम लोगों की राय और उनके अधिकारों का दमन कर रही है।
पर्यावरण कार्यकर्ता और एडवोकेट मन्ना राम डांगी ने कहा कि सोनम वांगचुक ने हमेशा देश की सेवा की है और उन्होंने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब पर्यावरण की रक्षा करना और सरकार को उसके अधूरे वादों की याद दिलाना भी देशद्रोह माना जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार हिम्मत सेठ ने कहा कि सोनम वांगचुक ने बर्फीले इलाकों में सैनिकों के लिए विशेष टेंट बनाए थे, जिनसे उन्हें कड़ी ठंड से राहत मिलती थी। लेकिन आज उसी व्यक्ति को देशद्रोही कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आज हम चुप रह गए तो आने वाले समय में यह सरकार किसी भी आवाज़ को दबाने और किसी भी नागरिक का दमन करने से पीछे नहीं हटेगी।
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