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राजस्थान साहित्य अकादमी में सुखद बदलावों का दौर आरंभ , आखिर कैसे, यहां पढ़ें
उदयपुर । “सर, मधुमती की सदस्यता ली हुई है, पर समय से यह घर नहीं
पहुँचती…जवाब- फिक्र न करें, अब यह डाकिया घर-घर पहुंचाएगा...” कुछ इसी तरह
सहारण ने फेसबुक पर प्राप्त एक शिकायत का जवाब दिया और शिकायत के त्वरित
निस्तारण के निर्देश दिए। राजस्थान साहित्य अकादमी के नवनियुक्त अध्यक्ष
दुलाराम सहारण पदभार ग्रहण करते ही पूर्ण लगन, विजन, उत्साह और प्लानिंग के
साथ काम में जुट गए हैं जिससे अकादमी की रफ्तार भी कई गुना बढ़ गई है।
सहारण के प्रयासों से रोज नए बदलाव अकादमी में देखने को मिल रहे हैं।
अकादमी अध्यक्ष का पदभार संभालते ही सहारण ने घोषणा करते हुए कहा था कि
साहित्य सृजन में अपना जीवन खपा देने वाले साहित्यकारों का अकादमी सम्मान
करेगी, अकादमी से कोई निराश नहीं लौटेगा और अकादमी ने इस ओर कदम बढ़ाने भी
शुरू कर दिए हैं।
गाँव-गाँव पहुंचेगी साहित्य अकादमी
सहारण ने कहा है कि अकादमी का दायरा अब सीमित नहीं रहेगा, अकादमी शहर-शहर और गाँव-गाँव जाएगी और इसका परिणाम भी परिलक्षित होने लगा है। हाल ही में सहारण जोधपुर में आयोजित नागरिक अभिनंदन एवं सम्मान समारोह में पहुंचे जहां जोधपुर के युवा और वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मेलन बुलाने का आह्वान किया। इसके अलावा बीकानेर में आयोजित मणि मधुकर की 80वीं जयंती पर ‘रंग स्मरण’ कार्यक्रम में भी बतौर अध्यक्ष शिरकत करते हुए साहित्यकारों से विचार-विमर्श किया और समस्याएं जानी।
नवोदित लेखों को भी अकादमी देगी मंच
सहारण ने इन मौकों पर बताया कि अकादमी नवोदित लेखों को मंच उपलब्ध कराएगी। उन्होंने अकादमी की प्रकाशन, अनुदान एव पुरस्कार योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने हेतु औपचारीक कार्रवाई भी तेज गति से शुरू कर दी है। राजस्थान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में रांगेय राघव पर आयोजित संगोष्ठी में शिरकत की और राघव की वयोवृद्ध धर्मपत्नी डॉ सुलोचना राघव का आतिथ्य सत्कार किया। इस दौरान राजस्थान विवि में रांगेय राघव पीठ स्थापित करने की घोषणा भी की गई।
मधुमती के सदस्यों की संख्या अब रोज बढ़ने लगी
सहारण ने 365 दिन का प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं जिससे नियमित तौर पर साहित्यिक गतिविधियां आयोजित कर साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया जा सके। सहारण राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका मधुमती की सदस्यता बढ़ाने हेतु भी पहले दिन से जुट गए हैं। फेसबुक और अन्य माध्यमों से उन्होंने ‘श्वेत पत्र सीरीज’ चल कर उन्होंने मधुमती के सदस्यों की संख्या कम होने पर चिंता ज़ाहिर की और आमजन से अपील करते हुए अंशदान देकर मधुमती का सदस्य बनने की अपील की। नतीजतन उनकी अपील से मधुमती के सदस्याओं की सख्या में में अचानक ही बढ़ोत्तरी हो होने लगी है जो निरंतर जारी है। इसी बीच एक-दो सदस्यों ने फेसबुक पर सहारण को शिकायत देते हुए बताया कि समय पर मधुमती पहुँचती नहीं है, तो सहारण ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर ग्राहक तक यह पत्रिका समय पर पहुंचनी चाहिए। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों को मधुमती का सदस्य बनाने हेतु भी प्रयास शुरू कर दिए हैं। बंद पड़े पुरस्कारों को फिर से शुरू करने की कवायद भी तेज कर दी है।
अकादमी की बड़ी 'इमारत' का आज मैं 'कंगूरा' भर –सहारण
दुलाराम सहारण कहते हैं कि राजस्थान साहित्य अकादमी की भव्य, गौरवमय और बड़ी 'इमारत' का आज मैं 'कंगूरा' भर हूं, इसकी नींव में जनार्दन राय नागर, हरिभाऊ उपाध्याय, प्रकाश आतुर जैसे हमारे मजबूत लोग खपे हैं, और उन्होंने स्वयं को होमकर अकादमी की साख को शिखर सौंपा है। उन्होंने कहा कि अकादमी अब तक हुए काम तथा होने जा रहे काम को आमजन तक, गांव-ढाणी, कस्बा-शहर, नगर-महानगर में बैठे हमारे साहित्यकार तक पहुंचाने के तमाम जरियो का भरपूर लाभ लेगी। हर जिले में हम स्वयं जाकर 'संवाद' करेंगे।
गाँव-गाँव पहुंचेगी साहित्य अकादमी
सहारण ने कहा है कि अकादमी का दायरा अब सीमित नहीं रहेगा, अकादमी शहर-शहर और गाँव-गाँव जाएगी और इसका परिणाम भी परिलक्षित होने लगा है। हाल ही में सहारण जोधपुर में आयोजित नागरिक अभिनंदन एवं सम्मान समारोह में पहुंचे जहां जोधपुर के युवा और वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मेलन बुलाने का आह्वान किया। इसके अलावा बीकानेर में आयोजित मणि मधुकर की 80वीं जयंती पर ‘रंग स्मरण’ कार्यक्रम में भी बतौर अध्यक्ष शिरकत करते हुए साहित्यकारों से विचार-विमर्श किया और समस्याएं जानी।
नवोदित लेखों को भी अकादमी देगी मंच
सहारण ने इन मौकों पर बताया कि अकादमी नवोदित लेखों को मंच उपलब्ध कराएगी। उन्होंने अकादमी की प्रकाशन, अनुदान एव पुरस्कार योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने हेतु औपचारीक कार्रवाई भी तेज गति से शुरू कर दी है। राजस्थान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में रांगेय राघव पर आयोजित संगोष्ठी में शिरकत की और राघव की वयोवृद्ध धर्मपत्नी डॉ सुलोचना राघव का आतिथ्य सत्कार किया। इस दौरान राजस्थान विवि में रांगेय राघव पीठ स्थापित करने की घोषणा भी की गई।
मधुमती के सदस्यों की संख्या अब रोज बढ़ने लगी
सहारण ने 365 दिन का प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं जिससे नियमित तौर पर साहित्यिक गतिविधियां आयोजित कर साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया जा सके। सहारण राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका मधुमती की सदस्यता बढ़ाने हेतु भी पहले दिन से जुट गए हैं। फेसबुक और अन्य माध्यमों से उन्होंने ‘श्वेत पत्र सीरीज’ चल कर उन्होंने मधुमती के सदस्यों की संख्या कम होने पर चिंता ज़ाहिर की और आमजन से अपील करते हुए अंशदान देकर मधुमती का सदस्य बनने की अपील की। नतीजतन उनकी अपील से मधुमती के सदस्याओं की सख्या में में अचानक ही बढ़ोत्तरी हो होने लगी है जो निरंतर जारी है। इसी बीच एक-दो सदस्यों ने फेसबुक पर सहारण को शिकायत देते हुए बताया कि समय पर मधुमती पहुँचती नहीं है, तो सहारण ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर ग्राहक तक यह पत्रिका समय पर पहुंचनी चाहिए। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों को मधुमती का सदस्य बनाने हेतु भी प्रयास शुरू कर दिए हैं। बंद पड़े पुरस्कारों को फिर से शुरू करने की कवायद भी तेज कर दी है।
अकादमी की बड़ी 'इमारत' का आज मैं 'कंगूरा' भर –सहारण
दुलाराम सहारण कहते हैं कि राजस्थान साहित्य अकादमी की भव्य, गौरवमय और बड़ी 'इमारत' का आज मैं 'कंगूरा' भर हूं, इसकी नींव में जनार्दन राय नागर, हरिभाऊ उपाध्याय, प्रकाश आतुर जैसे हमारे मजबूत लोग खपे हैं, और उन्होंने स्वयं को होमकर अकादमी की साख को शिखर सौंपा है। उन्होंने कहा कि अकादमी अब तक हुए काम तथा होने जा रहे काम को आमजन तक, गांव-ढाणी, कस्बा-शहर, नगर-महानगर में बैठे हमारे साहित्यकार तक पहुंचाने के तमाम जरियो का भरपूर लाभ लेगी। हर जिले में हम स्वयं जाकर 'संवाद' करेंगे।
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