Take patriotism, patriotism, courage and devotion - Governor-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Apr 19, 2024 2:36 pm
Location
Advertisement

देशभक्ति, देशप्रेम, साहस और कर्तव्यनिष्ठा का प्रण लें - राज्यपाल

khaskhabar.com : बुधवार, 15 अगस्त 2018 7:59 PM (IST)
देशभक्ति, देशप्रेम, साहस और कर्तव्यनिष्ठा का प्रण लें - राज्यपाल
यमुनानगर । हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने यमुनानगर के तेजली खेल परिसर में आयोजित 72वें राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर ध्वजारोहण किया तथा परेड का निरीक्षण कर मार्च पास्ट की सलामी ली।


राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने सम्बोधन में भारत माता के वीर सपूतों जिन्होंने आजादी के लिए अपने बलिदान दिए व आजादी के बाद मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए, को नमन किया और राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर सबको हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दी।

उन्होंने 7 स्वतंत्रता सेनानियों, 35 युद्घ वीरांगनाओं, हिन्दी आंदोलन के 10 आंदोलनकारियों,1977 में आपातकालीन स्थिति के दौरान विभिन्न जेलों में रहे 39 व्यक्तियों तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले जिला के 26 लोगों जिसमें पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी, खिलाड़ी तथा समाज सेवी शामिल हैं, को हरियाणा के राज्यपाल ने अपने करकमलों से पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि 71 साल पहले वर्ष 1947 में इसी शुभ दिन की पावन बेला में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ हर भारतवासी का आजादी पाने का सपना साकार हुआ था। इसलिए यह दिन भारतवासियों के लिए बड़े गर्व और गौरव का दिन है। इसी दिन के लिए कितने ही देशभक्तों ने विदेशियों के हाथों अनेक यातनाएं सहीं। राजगुरू-सुखदेव-भगतसिंह जैसे वीरों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा। लाला लाजपत राय ने लाठियां खाईं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद और न जाने कितने ही देशभक्तों ने आजादी की बलिदेवी पर अपने प्राण न्यौछावर किए। उन्होंने कहा कि आज हम आजादी की लड़ाई में जान न्यौछावर करने वाले सब ज्ञात-अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उन सब स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन करें जिन्होंने हमें स्वतंत्रता का उपहार देने के लिए निरंकुश विदेशी शासकों के हाथों कठोर यातनाएं सहीं। हम उनके सदैव ऋणी रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम उनके जैसी देशभक्ति, देशप्रेम, साहस व कत्र्तव्यनिष्ठा का प्रण लें।
राज्यपाल ने कहा कि इतिहास के पन्नों में स्वतंत्रता आंदोलन एक युगान्तकारी घटना है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस आंदोलन का हथियार अहिंसा था। आजादी के बाद महान दूरदर्शी नेता डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ0 भीमराव अंबेडकर, मौलाना आजाद जैसे नेताओं ने लोगों की रचनात्मक क्षमताओं का उपयोग राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण के कार्य में किया। उन्होंने कहा कि हम उन राष्ट्र निर्माताओं, सीमा प्रहरी सैनिकों, प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों, अन्नदाता किसानों, मेहनतकश कामगारों के प्रति भी गहन कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा, साहस और मेहनत के बल पर भारत को दुनिया की बड़ी शक्ति के रूप में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा वासियों को गर्व है कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आन्दोलन की पहली चिंगारी 8 मई 1857 को अंबाला से फूटी थी। उस समय हरियाणा में अंग्रेजों ने अनेक वीरों को सरेआम फांसी दी थी और छह-छह साल के बच्चों तक को गिरड़ी से कुचला दिया था।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के वीरों ने आजादी के बाद भी देश की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गर्व का विषय है कि आज देश की सेना में हर दसवां सैनिक हरियाणा से है। यहां के सैनिकों ने 1962, 1965, 1971 के विदेशी आक्रमणों व आप्रेशन कारगिल युद्ध के दौरान वीरता की नई मिसाल पेश की थी। प्रदेश के वीर कभी भी राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की रक्षा के लिए अपने अमूल्य प्राणों की आहूति देने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि हम सबका परम कर्तव्य है कि मातृभूमि के लिए जान न्यौछावर करने वाले शहीदों और सेवारत सैनिकों के परिवारों और उनके आश्रितों की देखभाल करें। इसीलिए सरकार ने शहीदों के परिवारों और उनके आश्रितों को अनेक शैक्षणिक आरक्षण और वित्तीय लाभ दिए हैं ताकि वे सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों अथवा उनकी विधवाओं को 25 हजार रूपये मासिक पेंशन दी जाती है। राज्य सरकार ने युद्ध में शहीद सैनिक के परिवार के लिए अनुग्रह राशि बढाकर 50 लाख रूपये की है व 221 शहीदों के आश्रितों को सरकारी नौकरी भी प्रदान की गई है।

राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि आजादी के आंदोलन का उदेश्य केवल अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकना नहीं था। खुद को सदियों के कुशासन से मुक्ति दिलाने, गरीबी, अज्ञानता को मिटाने, साम्प्रदायिकता, जातिगत पूर्वाग्रहों और साम्प्रदायिकता से मुक्ति पाने के लिए ही स्वतंत्रता की कामना की थी।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

1/2
Advertisement
Khaskhabar Haryana Facebook Page:
Advertisement
Advertisement