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एसएचओ-एएसआई 80,000 और लिपिक 50,000 रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार

करनाल। चकबन्दी कार्यालय के एक लिपिक को क्रमशः 80,000 रुपये और 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग करने और स्वीकार करते हुए गिरफ्तार किया है।
इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि पहले मामले में ब्यूरो की टीम ने एफआईआर से नाम हटाने की एवज में शिकायतकर्ता से 80 हजार रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में कुंजपुरा थाने के एसएचओ पद पर तैनात सब इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह और इसी थाने के एएसआई राकेश कुमार को गिरफ्तार किया है। विजिलेंस ने कुंजपुरा थाने के सब इंस्पेक्टर राजेंद्र पर भी मामला दर्ज किया है, जो फरार है।
एक अन्य मामले में करनाल के चकबन्दी कार्यालय में क्लर्क सतबीर को सतर्कता ब्यूरो ने शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। आरोपी क्लर्क ने शिकायतकर्ता के पक्ष में अपील का फैसला करने के लिए 4 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की और पहली किस्त के रूप में 50,000 रुपये स्वीकार किए। ब्यूरो की टीम ने चकबंदी कार्यालय करनाल में तैनात कानूनगो नफे सिंह पर भी मामला दर्ज किया है। इस मामले में आरोपी अभी फरार है।
आरोपियों के खिलाफ ब्यूरो थाना करनाल में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामलों की आगे की जांच जारी है।
इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि पहले मामले में ब्यूरो की टीम ने एफआईआर से नाम हटाने की एवज में शिकायतकर्ता से 80 हजार रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में कुंजपुरा थाने के एसएचओ पद पर तैनात सब इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह और इसी थाने के एएसआई राकेश कुमार को गिरफ्तार किया है। विजिलेंस ने कुंजपुरा थाने के सब इंस्पेक्टर राजेंद्र पर भी मामला दर्ज किया है, जो फरार है।
एक अन्य मामले में करनाल के चकबन्दी कार्यालय में क्लर्क सतबीर को सतर्कता ब्यूरो ने शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। आरोपी क्लर्क ने शिकायतकर्ता के पक्ष में अपील का फैसला करने के लिए 4 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की और पहली किस्त के रूप में 50,000 रुपये स्वीकार किए। ब्यूरो की टीम ने चकबंदी कार्यालय करनाल में तैनात कानूनगो नफे सिंह पर भी मामला दर्ज किया है। इस मामले में आरोपी अभी फरार है।
आरोपियों के खिलाफ ब्यूरो थाना करनाल में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामलों की आगे की जांच जारी है।
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