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फिरोजपुर में पटाखों की स्थिति : आदेशों का पालन या राजनीतिक दबाव?
पुलिस अधिकारियों की यह स्थिति साफ करती है कि या तो उन्हें किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव है, या फिर वे खुद ही कुछ समझौतों के तहत कार्य कर रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर के स्पष्ट आदेशों के बाद भी जब बाजार में पटाखों की भरपूर आपूर्ति देखी जा रही है, तो यह समझना मुश्किल हो जाता है कि पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। क्या अधिकारियों को दुकानदारों से कोई सांठगांठ हो गई है, या फिर यह उनका मनमाना रवैया है?
फिरोजपुर की स्थिति इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि प्रशासन अपने आदेशों का पालन करने में असफल रहा है। बाजारों में पुलिस की उपस्थिति के बावजूद कार्रवाई का न होना एक गंभीर मुद्दा है। क्या डिप्टी कमिश्नर के आदेश केवल कागज के टुकड़े बनकर रह जाएंगे?
पुलिस प्रशासन की यह बेशर्मी या राजनीतिक दबाव की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। सुनिए डिप्टी कमिश्नर और पुलिस अधिकारियों के बयानों में भिन्नताएं, और फिर खुद तय कीजिए कि क्या यह प्रशासनिक निष्क्रियता का संकेत है या कुछ और? क्या यही है वह व्यवस्था जिसमें आम आदमी को सुरक्षा और न्याय की उम्मीद हो? इस स्थिति पर सवाल उठाने का समय अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
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