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डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं प्रदेश के सरकारी अस्पताल: कुमारी सैलजा

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि जब डॉक्टर ही नहीं होंगे तो रोगियों को कैसे स्वास्थ्य लाभ होगा, मरीजों को प्राइवेट डॉक्टरों के हाथ लुटने के लिए तो नहीं छोड़ा जा सकता। एक ओर जहां सभी सरकारी अस्पताल डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे है वहीं मेडिकल कालेज में तो बहुत ही बुरा हाल है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई रोहतक में करीब 50 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं, जबकि वहां सबसे अधिक मरीजों का दबाव है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ने के साथ तैनात कर्मचारियों पर भी काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। मरीजों का इलाज वाले इन मेडिकल कॉलेजों को खुद बड़ी सर्जरी की जरूरत है। इसके साथ ही बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर कलां, कल्पना चावला मेडिकल कालेज करनाल, नल्हड़ मेडिकल कॉलेज और फरीदाबाद के छायसां मेडिकल कॉलेज में भी स्टाफ की कमी हैं। यह मुद्दा कई बार विधानसभा में भी गूंजा पर डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की कमी दूर नहीं हो पाई है। इस समय प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब 1500 डॉक्टरों की कमी है।
सांसद सैलजा ने कहा कि अधिकतर सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है अधिकतर पद आज भी खाली पड़े है, सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भी कोई डॉक्टर काम करने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं शायद किसी सरकारी अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ नियुक्त हो जबकि प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सिरसा और फतेहाबाद जिले सबसे ज्यादा प्रभावित है, इन जिलों में कैंसर जांच की सुविधा तक नहीं है, कैंसर रोगियों को जांच के लिए दूसरे जिलों में भेजा जाता है। इस समय सिरसा और फतेहाबाद जिलों में कैंसर रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति किया जाना बहुत जरूरी है। सरकार को कम से कम सिरसा में कैंसर उपचार संस्थान खोलना ही होगा, घोषणाएं करने से कैंसर रोगियों का उपचार नहीं होगा, सरकार को मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने के बजाए जल्द से जल्द उनके उपचार का प्रबंध करना होगा।
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