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यह मनुष्य शरीर एक किराए का मकान है : उमाकांत महाराज
सीकर। विजयादशमी के पावन पर्व पर सीकर में प्रधानजी का जाव में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में बाबा जयगुरुदेव महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकांत महाराज ने कहा कि इस समय हमें अपने रावण रूपी मन को मार कर अपने आचार-विचार शुद्ध कर शाकाहारी- सदाचारी रहना है। जबसे लोगों को सच्चा सत्संग नहीं मिला, लोग सच्चे रास्ते से भटक गए हैं। अब वर्तमान में हमें अपने रावण रूपी मन को मार कर इस पर विजय प्राप्त करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि नौजवानों को अब जागना होगा। वक्त नाजुक दौर से गुजर रहा है। हड़ताल, आंदोलन, तोड़-फोड़ करने, शराब व मांस का सेवन करने से देश आगे नहीं बढ़ सकता। यह मनुष्य शरीर एक किराए का मकान है। हम कौन हैं, कहां से आए हैं और कहां चले जाते हैं इसके बारे में विस्तार से समझाया। चेतन जीव आत्मा को परमात्मा से मिलने का रास्ता भी नाम दान दिया।
उन्होंने कहा कि नौजवानों को अब जागना होगा। वक्त नाजुक दौर से गुजर रहा है। हड़ताल, आंदोलन, तोड़-फोड़ करने, शराब व मांस का सेवन करने से देश आगे नहीं बढ़ सकता। यह मनुष्य शरीर एक किराए का मकान है। हम कौन हैं, कहां से आए हैं और कहां चले जाते हैं इसके बारे में विस्तार से समझाया। चेतन जीव आत्मा को परमात्मा से मिलने का रास्ता भी नाम दान दिया।
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