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कांग्रेस विधायक को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को रखा बरकरार
कांग्रेस विधायक के. बाबू ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, कोर्ट ने स्वराज की याचिका पर उनकी प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि बाबू द्वारा उठाई गई आपत्तियों में कोई दम नहीं है और उच्च न्यायालय के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
2021 के विधानसभा चुनाव में बाबू से हारने वाले स्वराज ने बाबू के चुनाव को अमान्य घोषित करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
स्वराज ने अपनी याचिका में बताया कि बाबू ने बेईमानी की, जिससे चुनाव के परिणाम पर असर पड़ा।
स्वराज की शिकायत में कहा गया है कि बाबू ने कथित तौर पर हिंदू मतदाताओं को पर्चियां बांटीं, जिनमें भगवान अयप्पा की तस्वीर के साथ लिखा था, "आपका वोट अयप्पा के लिए है"।
इसके बाद बाबू ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की जिसमें प्रारंभिक आपत्ति जताई गई कि स्वराज द्वारा दायर चुनाव याचिका में दोष हैं, लेकिन उच्च न्यायालय ने बाबू के खिलाफ चुनाव मुख्य याचिका की सुनवाई आगे बढ़ाने का फैसला किया, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
बाबू ओमन चांडी सरकार (2011-16) में राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री थे।
उन्होंने 1991 से थ्रिपुनिथुरा का प्रतिनिधित्व किया और 2016 के विधानसभा चुनावों में पहली बार स्वराज से हार गए, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने सीट फिर से हासिल कर ली।
--आईएएनएस
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