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स्व-वित्त पोषित योजना पर चल रहे कोर्सेज को सरकार से मिलेगा सहारा
जयपुर/दौसा । उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहश्वरी ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राज्य के ऎसे कॉलेज जो पिछले पांच वर्षों से स्व-वित्त पोषित योजना पर चल रहे हैं उन सभी को राज्य वित्त पोषण योजना के तहत चलाया जाएगा, जिससे छात्र-छात्राओं की फीस में काफी कमी आएगी और वे गुणवत्तायुक्त शिक्षा भी प्राप्त कर सकेंगे।
माहेश्वरी प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थी। उन्होंने बताया कि दौसा के राजकीय महाविद्यालय में स्व वित्त पोषित योजना से 2004-2005 से कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ कोर्सेज को राज्य वित्त पोषण में लाने के बाद एमए (भूगोल) की फीस 7 हजार 400 रुपए थी वहीं अब इसकी फीस 1 हजार 350 रह गई है। इसी तरह एमए (हिंदी) के स्व-वित्त पोषण से 5 हजार 400 रुपए लगते थे वहीं अब 1 हजार 100 रुपए ही लगेंगे। उन्होंने बताया कि इसी तरह गल्र्स कॉलेज दौसा में भी एमए (हिंदी) के लिए 5400 की बजाए 1100 रुपए ही फीस लगेगी। उन्होंने कहा कि अब इन कॉलेजों में पीजी के विषय गेस्ट फैकल्टी की बजाए कॉलेजों के व्याख्याता ही पढ़ाएंगे।
माहेश्वरी ने कहा कि राज्य में पहली बार 31 कॉलेजों में 64 से ज्यादा और 5 साल से अधिक पुराने स्व-वित्त पोषित कोर्सेज को राज्य वित्त पोषित कोर्सेज के तहत चलाने की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि कुछ कॉलेजों में जहां स्व-वित्त पोषित व्यवस्था पर कोर्सेज चल रहे हैं उन्हें पांच साल बाद राज्य वित्त पोषित योजना में ले लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बांदीकुई के कॉलेजों में बीएससी (बायो मैट्रिक) कोर्स के पहले 6500 रुपए लगते थे वहीं अब 1500 रुपए लगते हैं। एसआरपी दौसा कॉलेज के कुछ कोर्सेज को स्व वित्त से राज्य वित्त पर लाए गए। उन्होंने कहा कि बांदीकुई का गल्र्स कॉलेज स्व-वित्त पोषण के नाम पर है लेकिन वह निजी कॉलेज के रूप में चल रहा है। ऎसे में गुणावगुण के आधार पर उसे राज्य वित्त पोषण में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।
इससे पहले विधायक शंकर लाल शर्मा के मूल प्रश्न का जबाव देते हुए श्री माहेश्वरी ने बताया कि अविभाजित राजकीय महाविद्यालय, दौसा में वर्ष 2004 से स्ववित्तपोषित एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं भूगोल के पाठयक्रम संचालित हैं एवं दोनों विषयों में आवंटित 40 सीटों पर प्रति वर्ष 3-4 गुणा विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए आवेदन प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि बजट घोषणा वर्ष 2018-19 के बिन्दु संख्या 107 के तहत राजकीय महाविद्यालयों में 05 वर्षो से अधिक की अवधि से स्ववित्तपोषित योजना के तहत चल रहे पाठयक्रमों को राजकीय क्षेत्र में निहित किया जा रहा है। बजट घोषणानुसार स्ववित्तपोषित योजना के तहत चल रहे पाठयक्रमों जैसे एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं भूगोल को राजकीय क्षेत्र में संचालित किया जा रहा है जिनका संचालन राजकीय कला महाविद्यालय, दौसा द्वारा किया जाएगा।
माहेश्वरी प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थी। उन्होंने बताया कि दौसा के राजकीय महाविद्यालय में स्व वित्त पोषित योजना से 2004-2005 से कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ कोर्सेज को राज्य वित्त पोषण में लाने के बाद एमए (भूगोल) की फीस 7 हजार 400 रुपए थी वहीं अब इसकी फीस 1 हजार 350 रह गई है। इसी तरह एमए (हिंदी) के स्व-वित्त पोषण से 5 हजार 400 रुपए लगते थे वहीं अब 1 हजार 100 रुपए ही लगेंगे। उन्होंने बताया कि इसी तरह गल्र्स कॉलेज दौसा में भी एमए (हिंदी) के लिए 5400 की बजाए 1100 रुपए ही फीस लगेगी। उन्होंने कहा कि अब इन कॉलेजों में पीजी के विषय गेस्ट फैकल्टी की बजाए कॉलेजों के व्याख्याता ही पढ़ाएंगे।
माहेश्वरी ने कहा कि राज्य में पहली बार 31 कॉलेजों में 64 से ज्यादा और 5 साल से अधिक पुराने स्व-वित्त पोषित कोर्सेज को राज्य वित्त पोषित कोर्सेज के तहत चलाने की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि कुछ कॉलेजों में जहां स्व-वित्त पोषित व्यवस्था पर कोर्सेज चल रहे हैं उन्हें पांच साल बाद राज्य वित्त पोषित योजना में ले लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बांदीकुई के कॉलेजों में बीएससी (बायो मैट्रिक) कोर्स के पहले 6500 रुपए लगते थे वहीं अब 1500 रुपए लगते हैं। एसआरपी दौसा कॉलेज के कुछ कोर्सेज को स्व वित्त से राज्य वित्त पर लाए गए। उन्होंने कहा कि बांदीकुई का गल्र्स कॉलेज स्व-वित्त पोषण के नाम पर है लेकिन वह निजी कॉलेज के रूप में चल रहा है। ऎसे में गुणावगुण के आधार पर उसे राज्य वित्त पोषण में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।
इससे पहले विधायक शंकर लाल शर्मा के मूल प्रश्न का जबाव देते हुए श्री माहेश्वरी ने बताया कि अविभाजित राजकीय महाविद्यालय, दौसा में वर्ष 2004 से स्ववित्तपोषित एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं भूगोल के पाठयक्रम संचालित हैं एवं दोनों विषयों में आवंटित 40 सीटों पर प्रति वर्ष 3-4 गुणा विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए आवेदन प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि बजट घोषणा वर्ष 2018-19 के बिन्दु संख्या 107 के तहत राजकीय महाविद्यालयों में 05 वर्षो से अधिक की अवधि से स्ववित्तपोषित योजना के तहत चल रहे पाठयक्रमों को राजकीय क्षेत्र में निहित किया जा रहा है। बजट घोषणानुसार स्ववित्तपोषित योजना के तहत चल रहे पाठयक्रमों जैसे एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं भूगोल को राजकीय क्षेत्र में संचालित किया जा रहा है जिनका संचालन राजकीय कला महाविद्यालय, दौसा द्वारा किया जाएगा।
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