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कश्मीर से कन्याकुमारी तक काम आएगा कांठल का स्वच्छता रोडमैप

प्रतापगढ़। स्वच्छता को लेकर अब तक पिछड़े रहे आदिवासी बहुत प्रतापगढ़ जिले की तस्वीर बदल रही है। स्वच्छ भारत मिशन में सामुदायिक एवं व्यवहार में बदलाव के लिए बन रहे एसबीसीसी (सोशियल एंड बिहेवियर चेंज कम्युनिकेशन) प्लान के लिए प्रतापगढ़ को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है। समाज व प्रशासन की विभिन्न कडिय़ों को एक साथ बैठाकर बनाया जा रहा यह रोडमैप पूरे देश में स्वच्छता व खुले में शौच मुक्ति का वातावरण बनाने में काम आएगा। स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने के लिए तैयार किए जा रहे प्लान में बताया जाएगा कि किस तरह समाज के विभिन्न अंगों की सक्रिय भागीदारी से लोगों में स्वच्छता के लिए व्यवहार परिवर्तन किया जा सकता है।
बुधवार को जिला परिषद सभागार में जिला कलेक्टर नेहा गिरि की मौजूदगी हुई देश की पहली एसबीसीसी प्लान वर्कशॉप में यूनिसेफ से आए अधिकारियों ने ग्रामसेवक, सरपंच, शिक्षक, बीईईओ, बीडीओ, एसडीएम, डीएलओ व एनसीसी, एनएसएस, स्काउट व एनजीओ प्रतिनिधियों के साथ-साथ जिले के साहित्यकारों, कवियों के साथ मिलकर एसबीसीसी प्लान पर मंथन किया। खुले में शौच मुक्ति के दौरान आने वाली भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक व व्यावहारिक परेशानियों व चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई तथा इन चुनौतियों से निबटने के उपाय सुझाए गए। साथ ही सरकारी नेटवर्क के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों, प्रभावी व्यक्तियों, लोक कलाकारों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, युवाओं, महिलाओं, विद्यार्थियों सहित गैर सरकारी संगठनों के योगदान पर भी बात हुई। प्रेरक शॉर्ट फिल्मों एवं पीपीपी प्रजेंटेशन के जरिए मौजूदा हालात और उपलब्धियों की बात की गई।
बुधवार को जिला परिषद सभागार में जिला कलेक्टर नेहा गिरि की मौजूदगी हुई देश की पहली एसबीसीसी प्लान वर्कशॉप में यूनिसेफ से आए अधिकारियों ने ग्रामसेवक, सरपंच, शिक्षक, बीईईओ, बीडीओ, एसडीएम, डीएलओ व एनसीसी, एनएसएस, स्काउट व एनजीओ प्रतिनिधियों के साथ-साथ जिले के साहित्यकारों, कवियों के साथ मिलकर एसबीसीसी प्लान पर मंथन किया। खुले में शौच मुक्ति के दौरान आने वाली भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक व व्यावहारिक परेशानियों व चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई तथा इन चुनौतियों से निबटने के उपाय सुझाए गए। साथ ही सरकारी नेटवर्क के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों, प्रभावी व्यक्तियों, लोक कलाकारों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, युवाओं, महिलाओं, विद्यार्थियों सहित गैर सरकारी संगठनों के योगदान पर भी बात हुई। प्रेरक शॉर्ट फिल्मों एवं पीपीपी प्रजेंटेशन के जरिए मौजूदा हालात और उपलब्धियों की बात की गई।
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