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आरटीआई एक्ट के 20 साल पूरेः कांग्रेस ने लगाया साल 2014 के बाद से पारदर्शिता पर हमले का आरोप

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) आज सबसे कमजोर स्थिति में है, जहाँ 11 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल दो आयुक्त कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक आदेशों के बावजूद केंद्र और राज्यों में सूचना आयुक्तों के पद महीनों तक रिक्त पड़े हैं। जून 2024 तक देश के 29 आयोगों में लगभग 4,05,000 अपीलें और शिकायतें लंबित थीं, जो 2019 की तुलना में लगभग दोगुनी हैं।
व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा पर चिंताः कांग्रेस ने व्हिसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन अधिनियम को लागू न किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम UPA सरकार द्वारा पेश किया गया था, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में इसे न तो लागू किया गया और न ही इसके नियम अधिसूचित किए गए। सुरक्षात्मक तंत्र के अभाव में आरटीआई कार्यकर्ता धमकियों, उत्पीड़न और हिंसक हमलों के प्रति असुरक्षित बने हुए हैं।
कांग्रेस की मुख्य मांगेंः
2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए।
DPDP अधिनियम की धारा 44(3) की समीक्षा और संशोधन किया जाए।
केंद्र और राज्य आयोगों में सभी रिक्तियां तुरंत भरी जाएं।
आयोगों के लिए कार्य निष्पादन मानक तय किए जाएं।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू किया जाए।
आयोगों में विविधता (पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, महिला प्रतिनिधियों) सुनिश्चित की जाए।
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