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राइट टू सर्विस कमीशन ने बादली के कानूनगो पर लगाया 10,000 रुपए जुर्माना

झज्जर। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने सेवा समय पर ना देने के मामले में बादली के कानूनगो पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।
राइट टू सर्विस कमीशन के सचिव ने बताया कि अधिसूचित सेवा के तहत अपीलकर्ता ने भूमि पर फसल खड़ी नहीं होने पर निशानदेही करवाने के लिए आवेदन किया था। ऑटो अपील प्रणाली के माध्यम से यह अपील सामने आई थी।
आयोग के मामला संज्ञान में आते ही तत्काल जांच कराई गई। इस संबंध में एक सुनवाई 7 मार्च, 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। इसमें बादली के तहसीलदार श्रीनिवास, कानूनगो विजय सिंह और शिकायतकर्ता विजयपाल ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान कानूनगो विजय सिंह ने शिकायतकर्ता द्वारा किराए पर लिए गए डीजीपीएस मशीन के ऑपरेटर के कारण निशानदेही में देरी होना बताया।
शिकायतकर्ता विजयपाल नेअवगत करवाया कि प्रार्थी ने निशानदेही रिपोर्ट के संबंध में कानूनगो से कई बार संपर्क किया, लेकिन कई बार याद दिलाने के बाद भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। कानूनगो ने प्रार्थी को कभी भी ऑपरेटर से निशानदेही की अनुपलब्धता के बारे में भी सूचित नहीं किया। बल्कि कानूनगो ने प्रार्थी के आवेदन पर हस्ताक्षर गायब होने की बात कहकर गुमराह करने की कोशिश की।
आरटीएस सचिव ने कहा कि आयोग ने सभी तथ्यों को ध्यानपूर्वक विचार किया करने पर पाया गया है कि इस मामले में कानूनगो विजय सिंह ने 6 माह से अधिक की अधिसूचित सेवा को लंबित रखकर अपनी डयूटी में काफी लापरवाही की जिसके कारण समय पर रिपोर्ट देने में देरी हुई है। उन्होंने न केवल शिकायतकर्ता को गुमराह किया कि आवेदन पर उनके हस्ताक्षर नहीं होने के कारण रिपोर्ट में देरी हुई, बल्कि डीजीपीएस ऑपरेटर से आवश्यक नक्शा प्राप्त करने का भी कोई प्रयास नहीं किया।
आयोग ने कहा कि अधिसूचित सेवा प्रदान करने में अपने कर्तव्य की अवहेलना के आदेश देता है और कानूनगो विजय सिंह पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा शिकायतकर्ता को अधिसूचित सेवा का लाभ देने में कानूनगो द्वारा किए गए उत्पीड़न की भरपाई के लिए 2,000 रुपए के मुआवजे के भी आदेश देता हैं। आयोग जनता के कार्यों में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना जारी रखेगा।
आयोग के मामला संज्ञान में आते ही तत्काल जांच कराई गई। इस संबंध में एक सुनवाई 7 मार्च, 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। इसमें बादली के तहसीलदार श्रीनिवास, कानूनगो विजय सिंह और शिकायतकर्ता विजयपाल ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान कानूनगो विजय सिंह ने शिकायतकर्ता द्वारा किराए पर लिए गए डीजीपीएस मशीन के ऑपरेटर के कारण निशानदेही में देरी होना बताया।
शिकायतकर्ता विजयपाल नेअवगत करवाया कि प्रार्थी ने निशानदेही रिपोर्ट के संबंध में कानूनगो से कई बार संपर्क किया, लेकिन कई बार याद दिलाने के बाद भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। कानूनगो ने प्रार्थी को कभी भी ऑपरेटर से निशानदेही की अनुपलब्धता के बारे में भी सूचित नहीं किया। बल्कि कानूनगो ने प्रार्थी के आवेदन पर हस्ताक्षर गायब होने की बात कहकर गुमराह करने की कोशिश की।
आरटीएस सचिव ने कहा कि आयोग ने सभी तथ्यों को ध्यानपूर्वक विचार किया करने पर पाया गया है कि इस मामले में कानूनगो विजय सिंह ने 6 माह से अधिक की अधिसूचित सेवा को लंबित रखकर अपनी डयूटी में काफी लापरवाही की जिसके कारण समय पर रिपोर्ट देने में देरी हुई है। उन्होंने न केवल शिकायतकर्ता को गुमराह किया कि आवेदन पर उनके हस्ताक्षर नहीं होने के कारण रिपोर्ट में देरी हुई, बल्कि डीजीपीएस ऑपरेटर से आवश्यक नक्शा प्राप्त करने का भी कोई प्रयास नहीं किया।
आयोग ने कहा कि अधिसूचित सेवा प्रदान करने में अपने कर्तव्य की अवहेलना के आदेश देता है और कानूनगो विजय सिंह पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा शिकायतकर्ता को अधिसूचित सेवा का लाभ देने में कानूनगो द्वारा किए गए उत्पीड़न की भरपाई के लिए 2,000 रुपए के मुआवजे के भी आदेश देता हैं। आयोग जनता के कार्यों में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना जारी रखेगा।
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