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संघ कार्य का उद्देश्य ही सर्वे भवन्तु सुखिनः दीपक

khaskhabar.com : बुधवार, 12 अप्रैल 2017 6:10 PM (IST)
संघ कार्य का उद्देश्य ही सर्वे भवन्तु सुखिनः दीपक
गोंडा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सन् 1925 से ही अपनी सहज प्रवृत्ति और सभी से मित्रता के साथ हिन्दू संगठन के तथा भारतीय समाज के जागरण के कार्य में लगा है। संघ समाज के विभिन्न वर्गों में सौहार्द एकजुटता एवं एकता स्थापित प्रारंभ से ही कर रहा है। संघ कार्य का उद्देश्य ही सर्वे भवन्तु सुखिनः और अहिंसा तथा राष्ट्रवादी छवि का निर्माण रहा है। किन्तु इस पवित्र कार्य से लोगों में बढ़ती सतत लोकप्रियता के कारण वामपंथी एवं बाद में विशेषकर मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी केरल में संघ की शाखाओं व कार्यकर्ताओं पर अकारण आक्रमण कर संघ कार्य को विफल करने में जुट गये हैं।

इससे संघ न झुकेगा न टूटेगा बल्कि हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल और ऊंचा होगा।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक दीपक ने सरस्वती विद्या मंदिर के सभागार में इस अत्याचार के विरूद्ध राष्ट्र जागरण समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कही। दीपक जी ने विभिन्न मंचों पर सभी नागरिकों व प्रबुद्ध जनों से इसका विरोध अहिंसात्मक तरीके से आवाज बुलन्द करने की अपील की। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए विभाग संघचालक परमेश्वर सिंह ने कहा कि केरल प्रदेश में नागरिकों के मन में राष्ट्रीय भावना, देशप्रेम और एकात्म भाव बढ़ने के कारण वहां की सरकार एवं आताताइयों ने यह ठाना है कि हत्या व आक्रमण करके संघ को समाप्त कर लेंगे तो यह भूल है। सिंह ने कहा कि हम चुप नही रह सकते। चल रही उत्पीड़न एवं हो रहे गरीबों दलितों तथा महिलाओं व बच्चों पर अत्याचार व कई कार्यकर्ताओं की क्रूर हत्या की हम निन्दा करते हैं तथा पूरे देश के जागरूक समाज से अपील करते हैं कि संघ शाखाओं के विरूद्ध इस कृत्य को समाप्त करने हेतु आवाज उठायें और भर्त्सना करें।

विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश सहमंत्री गुड्डू वर्मा ने कहा कि वामपंथियों के वास्तविक रूप को समाज के सामने लाना होगा। भाजपा के जिला अध्यक्ष पीयूष मिश्र ने कहा कि समाज में हो रहे परिवर्तन से केरल में भी जन जागरण से परिवर्तन सम्भव होगा। डा ओपी मिश्र ने कहा कि केरल की सांस्कृतिक सभ्यता राष्ट की पहचान है उसे संघ के कार्यकर्ता नष्ट नही होने देंगे। अध्यक्षीय भाषण में डा छोटे लाल दीक्षित ने संघ की असीम प्रेरणा और राष्ट के प्रति समर्पित लोगों पर हो रहे अत्याचार के बारे में कहा कि यह केरल के स्वभाव में ही है स्वभाव परिवर्तन के लिए वैचारिक जागरण करना ही श्रेष्ठ साधन है जिसके माध्यम से चेतना बदली जा सकती है।

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