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पंजाब के मेडिकल प्रेक्टिशनर्स को मान्यता दी जाए
नवांशहर। मेडिकल प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन पंजाब की ओर से दशहरा ग्राउंड में केंद्र और पंजाब सरकारी की लोक विरोधी नीतियों के खिलाफ रैली करने के उपरांत शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां तक रोष मार्च निकाल कर शहीद को श्रद्धांजलि दी गई।
रैली को संबोधित करते हुए पंजाब प्रधान धन्ना मल, महासचिव कुलवंत राय, सलाहकार जसविंदर भोगल, सुरजीत सिंह , ज्ञान चंद, धर्म पाल, अशोक शर्मा, नवांशहर के जिला प्रधान गुरदेव सिंह पाबला ने कहा कि पंजाब में सरकारी सेहत सुविधाओं की हालत बहुत ही नाजुक है। इस बात की पुष्टि डायरेक्टर हेल्थ और परिवार भलाई पंजाब की ओर से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के तहत जारी किए गए आंकड़ों से होता है। 20 हजार की अाबादी के पीछे एक डाक्टर के पद है। उनके बीच से भी काफी पद खाली हैं। कई अस्पताल खुद ही बीमार हैं। सरकार अहम विभाग को निजी करने की और धकेल रही है। सरकार की और से पंजाब हेल्थ कारपोरेशन बनाकर करीब 48 प्रतिशत अस्पताल और 60 प्रतिशत कंप्यूटर सेंटर उनके अधीन कर दिए गए हैं। सरकारी सेहत सुविधाओं से वंचित लोग मेडिकल प्रेक्टिशर्स की ओर से पिछले लंबे समय से सेहत सुविधाएं प्राप्त करते आ रहे हैं। सरकार इसको सिर्फ कानूनी मसले की संख्या देकर कतराते रहे हैं। जबकि यह मसला करोड़ों उन लोगों से जुड़ा मसला हैं।
सरकार को चाहिए कि इन डाक्टरों को कम से कम पैसों में ट्रेनिंग कैंपों और सेमिनारों से इनको ज्ञान देकर मान्यता दी जाए, ताकि वह और माहिर बनकर बढि़या सेहत सुविधाएं लोगों को दे सकें। सरकार तरह-तरह के बहाने बना कर उनके काम बंद करवाना चाहती है। पंजाब सरकार के साथ कई बार बातचीत हुई, परन्तु हर बार मीठी गोली देकर टाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी और ध्यान नहीं दिया तो आने वाले चुनावों में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
रैली को संबोधित करते हुए पंजाब प्रधान धन्ना मल, महासचिव कुलवंत राय, सलाहकार जसविंदर भोगल, सुरजीत सिंह , ज्ञान चंद, धर्म पाल, अशोक शर्मा, नवांशहर के जिला प्रधान गुरदेव सिंह पाबला ने कहा कि पंजाब में सरकारी सेहत सुविधाओं की हालत बहुत ही नाजुक है। इस बात की पुष्टि डायरेक्टर हेल्थ और परिवार भलाई पंजाब की ओर से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के तहत जारी किए गए आंकड़ों से होता है। 20 हजार की अाबादी के पीछे एक डाक्टर के पद है। उनके बीच से भी काफी पद खाली हैं। कई अस्पताल खुद ही बीमार हैं। सरकार अहम विभाग को निजी करने की और धकेल रही है। सरकार की और से पंजाब हेल्थ कारपोरेशन बनाकर करीब 48 प्रतिशत अस्पताल और 60 प्रतिशत कंप्यूटर सेंटर उनके अधीन कर दिए गए हैं। सरकारी सेहत सुविधाओं से वंचित लोग मेडिकल प्रेक्टिशर्स की ओर से पिछले लंबे समय से सेहत सुविधाएं प्राप्त करते आ रहे हैं। सरकार इसको सिर्फ कानूनी मसले की संख्या देकर कतराते रहे हैं। जबकि यह मसला करोड़ों उन लोगों से जुड़ा मसला हैं।
सरकार को चाहिए कि इन डाक्टरों को कम से कम पैसों में ट्रेनिंग कैंपों और सेमिनारों से इनको ज्ञान देकर मान्यता दी जाए, ताकि वह और माहिर बनकर बढि़या सेहत सुविधाएं लोगों को दे सकें। सरकार तरह-तरह के बहाने बना कर उनके काम बंद करवाना चाहती है। पंजाब सरकार के साथ कई बार बातचीत हुई, परन्तु हर बार मीठी गोली देकर टाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी और ध्यान नहीं दिया तो आने वाले चुनावों में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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शहीद भगत सिंह नगर
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