Pre-certification mandatory for political advertisements on social media: Naveen Mahajan-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Nov 13, 2025 10:07 am
Location
 
   राजस्थान, हरियाणा और पंजाब सरकार से विज्ञापनों के लिए मान्यता प्राप्त
Advertisement

सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए पूर्व-प्रमाणन अनिवार्य : नवीन महाजन

khaskhabar.com: मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025 4:45 PM (IST)
सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए पूर्व-प्रमाणन अनिवार्य : नवीन महाजन
जयपुर। भारत निर्वाचन आयोग ने 6 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव तथा 6 राज्यों एवं जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के 8 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों की घोषणा की है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने बताया कि इस क्रम में, आयोग द्वारा 9 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और आदर्श आचार संहिता का पालन सुनिश्चित किया जा सके। प्रमुख बिंदु— विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणन (Pre-Certification): प्रत्येक पंजीकृत राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय राजनीतिक दल और प्रत्येक उम्मीदवार को सोशल मीडिया सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित करने से पूर्व संबंधित मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से अनिवार्य रूप से पूर्व-प्रमाणन प्राप्त करना होगा।
एमसीएमसी का गठन:
चुनाव आयोग द्वारा पूर्व निर्धारित दिशा-निर्देशों के तहत जिला और राज्य स्तर पर एमसीएमसी का गठन किया गया है। बिना पूर्व-प्रमाणन के कोई भी राजनीतिक विज्ञापन किसी भी इंटरनेट आधारित मीडिया या वेबसाइट पर जारी नहीं किया जा सकेगा।
पेड न्यूज़ पर निगरानी:
एमसीएमसी द्वारा मीडिया में पेड न्यूज़ के संभावित मामलों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और ऐसे मामलों में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी:
चुनावी प्रक्रिया में सोशल मीडिया की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सभी उम्मीदवारों को नामांकन के समय अपने प्रामाणिक सोशल मीडिया अकाउंट्स का विवरण निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
चुनावी व्यय विवरण:
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को चुनाव समाप्ति के 75 दिनों के भीतर सोशल मीडिया सहित इंटरनेट पर प्रचार के दौरान किए गए व्यय का पूरा विवरण निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करना होगा।
इस विवरण में इंटरनेट कंपनियों और वेबसाइटों को विज्ञापनों के लिए किए गए भुगतान,डिजिटल सामग्री निर्माण पर किया गया व्यय और सोशल मीडिया खातों के रख-रखाव और संचालन से जुड़ा व्यय शामिल किया जाना आवश्यक है।
यह पहल चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। निर्वाचन आयोग सभी राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों से अपेक्षा करता है कि वे इन दिशा-निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन करें।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement