Potable water supply in 175 out of 235 cities: PHED released survey after 20 years-m.khaskhabar.com
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Sep 28, 2023 7:04 pm
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235 शहरों में से 175 शहरों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति: PHED ने 20 साल बाद जारी किया सर्वे

khaskhabar.com : बुधवार, 31 मई 2023 4:51 PM (IST)
235 शहरों में से 175 शहरों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति: PHED ने 20 साल बाद जारी किया सर्वे
जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि 2025-26 में प्रदेश के 1 करोड़ 7 लाख घरों में नल के माध्यम से पेयजल उपलब्ध होने लगेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी 75 प्रतिशत योजनाओं में सतही स्त्रोतों की उपलब्धता है। जल जीवन मिशन के तहत समस्त परियोजनाएं पूरी होने पर राजस्थान में 90 फीसदी पेयजल सतही स्त्रोतों से उपलब्ध होने लगेगा।

डॉ. अग्रवाल बुधवार को जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के रसायनज्ञों की राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। डॉ. अग्रवाल ने 'स्टेटस रिपोर्ट ऑन ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी इन अरबन टाउन्स ऑफ राजस्थान 2022-23' भी रिलीज की। उन्होंने कहा कि सतही जल आधारित 23 हजार करोड़ रूपए की पांच बड़ी पेयजल परियोजनाओं को मंगलवार को मंजूरी मिली है। उन्होंने पानी की गुणवत्ता जांच के लिए टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए।

यूनिसेफ की स्टेट हैड इजाबेल बार्डम ने कहा कि सभी के पीने योग्य जल की उपलब्धता आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए आधुनिक के साथ ही परंपरागत प्रणालियों के उपयोग की आवश्यकता जताई। उन्होंने उम्मीद जताई कि कार्यशाला के माध्यम से पानी की गुणवत्ता के संबंध में जरूरी कदम उठाने का रोडमैप तैयार हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की विश्लेषण रिपोर्ट प्रमुख कमियों की पहचान करने और राजस्थान में विशेष रूप से सबसे अधिक हाशिये पर रहने वालों के लिए सुरक्षित पेयजल की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने में उपयोगी होगी।

रिपोर्ट की प्रशंसा करते हुए और राज्य भर में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्टिविटी के कवरेज को बढ़ाने पर जोर देते हुए, बार्डेम ने कहा कि जल जीवन मिशन और अमृत 2.0 दोनों महत्वाकांक्षी सरकार के प्रमुख कार्यक्रम हैं जो क्रमशः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 2024 तक सार्वभौमिक घरेलू जल कवरेज पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मैं राजस्थान में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्टिविटी के कवरेज को बढ़ाने के लिए विभाग के ठोस प्रयासों को सराहना करती हूं। हालांकि, एक वर्ष के भीतर सभी शेष घरों को पानी के कनेक्शन के साथ कवर करने के लिए कवरेज की दर में तेजी लाने की आवश्यकता है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने पानी की गुणवत्ता को लेकर रियल टाइम डेटा संग्रहण की सुझाव दिया ताकि स्टेटस रिपोर्ट के प्रकाशन की बजाय सीधे ही डेटा का इस्तेमाल किया जा सके।

कार्यक्रम में मुख्य अभियंता (शहरी) के. डी. गुप्ता ने कहा कि भूजल स्तर लगातार तेजी से गिर रहा है। ऐसे में पीने योग्य जल उपलब्ध कराने के लिए विभाग द्वारा सतही स्त्रोतों पर आधारित पेयजल योजनाएं तैयार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट का लाभ अभियंताओं, रसायनज्ञों एवं अरबन प्लानिंग से जुड़े अधिकारियों को मिलेगा।
कार्यक्रम की शुरूआत में स्टेटस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए मुख्य रसायनज्ञ एच एस देवन्दा ने बताया कि प्रदेश के 235 शहरी क्षेत्रों का सर्वे इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए किया गया है। 89 कस्बों में पेयजल आपूर्ति सतही जल स्त्रोतों से, 79 में सतही एवं भूजल दोनों से तथा 76 कस्बों में सिर्फ भूजल आधारित है।
उन्होंने बताया कि राज्य की समस्त 33 प्रयोगशालाएं एन.ए.बी.एल. मान्यता प्राप्त हैं। इन प्रयोगशालाओं के एन.ए.बी.एल. सर्टिफिकेशन की निरंतरता के लिए यूनिसेफ एवं नीरी के सहयोग से समय-समय पर रसायनज्ञों एवं अन्य कार्मिकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं।

कार्यक्रम में पूर्व मुख्य रसायनज्ञ एस एस ढिंढसा ने पानी की गुणवत्ता से संबंधित आंकड़ों के संग्रहण को रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित करने के कदम की सराहना की। यूनिसेफ के वाश अधिकारी नानक संतदासानी भी उपस्थित रहे।

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