PNB Rakshak Scheme played its responsibility in honor of the martyr: A cheque of Rs. 1 crore was handed over to the family-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
May 20, 2025 12:36 pm
Location

शहीद के सम्मान में "PNB रक्षक स्कीम" ने निभाई जिम्मेदारी : परिवार को सौंपा गया एक करोड़ का चेक

khaskhabar.com: शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025 2:46 PM (IST)
शहीद के सम्मान में
बलिया। देश के जवान जब सीमा पर अपनी जान की बाज़ी लगाते हैं, तो पीछे उनका परिवार भी अदृश्य रूप से राष्ट्र सेवा में शामिल होता है। ऐसे ही एक सपूत थे बलिया के सिकंदरपुर के रहने वाले शहीद जितेंद्र यादव, जिनकी ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में मौत हो गई थी। आज उनके परिवार को पंजाब नेशनल बैंक ने अपनी "रक्षक स्कीम" के अंतर्गत एक करोड़ रुपए का सहयोग चेक सौंपकर न केवल आर्थिक सहारा दिया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि जो सैनिक देश की रक्षा करते हैं, उनकी रक्षा की ज़िम्मेदारी भी समाज की होती है।

बलिया के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने शहीद के परिजनों को यह चेक सौंपते हुए कहा,"देश की रक्षा में बलिदान देने वाले सपूतों का कोई मोल नहीं हो सकता, लेकिन संस्थाएं जब आगे आकर ऐसे परिवारों की मदद करती हैं तो यह पूरे समाज को प्रेरणा देता है।"
शहीद जितेंद्र यादव का सैलरी अकाउंट पंजाब नेशनल बैंक की सिकंदरपुर शाखा में था। बैंक की ओर से जानकारी देते हुए मऊ मंडल के मंडल प्रमुख अमित कुमार ने बताया,
“पंजाब नेशनल बैंक में सैनिकों और उनके परिवारों के लिए विशेष ‘रक्षक स्कीम’ चलाई जाती है। इस स्कीम का मकसद ऐसे सैनिकों के परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है, जो ड्यूटी के दौरान किसी अनहोनी का शिकार हो जाएं।”
उन्होंने बताया कि शहीद जितेंद्र यादव की ड्यूटी पर जाते समय एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और चूंकि उनका अकाउंट PNB में था, इसलिए बैंक की पॉलिसी के तहत उन्हें रक्षक स्कीम का लाभ मिला।
PNB की ‘रक्षक स्कीम’ उन आर्मी, पैरामिलिट्री और डिफेंस पर्सनल्स के लिए बनाई गई है, जिनका वेतन खाता पंजाब नेशनल बैंक में होता है। इस स्कीम के तहत यदि ड्यूटी के दौरान जवान की मौत होती है, तो बैंक द्वारा एक तय बीमा राशि (अधिकतम 1 करोड़ रुपए) का भुगतान उसके परिवार को किया जाता है।यह योजना केवल एक बैंकिंग उत्पाद नहीं, बल्कि देशभक्ति और कर्तव्यबोध की मिसाल है।
जब शहीद के परिवार को एक करोड़ का चेक मिला, तो गाँव जगदरा (सिकंदरपुर) में एक बार फिर जितेंद्र यादव का नाम श्रद्धा से लिया गया। परिजनों की आँखों में आँसू थे, लेकिन साथ ही यह भरोसा भी था कि उनका बेटा देश के लिए गया और देश ने उन्हें भूला नहीं।
यह सिर्फ सहायता नहीं, एक संदेश है। इस पूरी पहल ने समाज को यह याद दिलाया कि “शहीद केवल सरहद पर नहीं मरते, वो हर उस दिल में ज़िंदा रहते हैं, जहाँ उनके बलिदान की कद्र होती है।”

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement