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बायरन बिस्वास की विधायकी रद्द करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में पीआईएल

कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर कर विधायक बायरन बिस्वास की विधायकी तत्काल रद्द करने की मांग की गई। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा है। तीन महीने पहले मुर्शिदाबाद जिले के सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बिस्वास को वाम मोर्चा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। हालांकि, पिछले सप्ताह ही वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
जनहित याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय की वरिष्ठ वकील सौम्या शुभ्रा रॉय ने दायर की है। उन्होंने इसी मांग के साथ 1 जून को पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमन बंदोपाध्याय और भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालयों को पत्र भेजा था।
अंत में दोनों कार्यालयों में से किसी से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद रॉय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की।
जनहित याचिका में रॉय ने तर्क दिया है कि चूंकि सागरदिघी के अधिकांश मतदाताओं ने बिस्वास को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुना था, इसलिए उन्होंने तृणमूल में शामिल होकर उनकी भावनाओं को धोखा दिया और इसलिए उनके विधायक बने रहने का कोई आधार नहीं है। इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।
हालाँकि, बिस्वास दावा कर रहे हैं कि चूंकि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस के अकेले प्रतिनिधि थे, इसलिए दल-बदल कानून उनके लिए लागू नहीं होता है। साथ ही, यदि इस्तीफा भी देना पड़े तो उन्हें तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सागरदिघी से फिर से जीत का भरोसा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दिग्गज पार्टी सांसद अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया था कि अगर उन्हें तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में अपनी जीत का भरोसा है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और फिर से चुनाव लड़ना चाहिए।
--आईएएनएस
जनहित याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय की वरिष्ठ वकील सौम्या शुभ्रा रॉय ने दायर की है। उन्होंने इसी मांग के साथ 1 जून को पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमन बंदोपाध्याय और भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालयों को पत्र भेजा था।
अंत में दोनों कार्यालयों में से किसी से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद रॉय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की।
जनहित याचिका में रॉय ने तर्क दिया है कि चूंकि सागरदिघी के अधिकांश मतदाताओं ने बिस्वास को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुना था, इसलिए उन्होंने तृणमूल में शामिल होकर उनकी भावनाओं को धोखा दिया और इसलिए उनके विधायक बने रहने का कोई आधार नहीं है। इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।
हालाँकि, बिस्वास दावा कर रहे हैं कि चूंकि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस के अकेले प्रतिनिधि थे, इसलिए दल-बदल कानून उनके लिए लागू नहीं होता है। साथ ही, यदि इस्तीफा भी देना पड़े तो उन्हें तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सागरदिघी से फिर से जीत का भरोसा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दिग्गज पार्टी सांसद अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया था कि अगर उन्हें तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में अपनी जीत का भरोसा है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और फिर से चुनाव लड़ना चाहिए।
--आईएएनएस
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