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सीएम के निर्वाचन क्षेत्र मानसरोवर में जर्जर बहुमंजिला इमारतों से लोग संकट में, आवंटियों पर ही डाली जिम्मेदारी
स्थानीय निवासियों के अनुसार, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड द्वारा निर्मित इन बहुमंजिला इमारतों में निर्माण के कुछ ही वर्षों के भीतर अत्यधिक नमी, दीवारों में दरारें और छज्जों के गिरने जैसी समस्याएं शुरू हो गईं थी। हाउसिंग बोर्ड ने पहले मामूली मरम्मत का कार्य किया। लेकिन अब उसने इन समस्याओं से पूरी तरह पल्ला झाड़ते हुए आवंटियों पर ही जिम्मेदारी डाल दी है। हर साल इन इमारतों में टूट-फूट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे आवंटियों के लिए यहां रहना असुरक्षित हो गया है।
इन जर्जर मकानों की बड़ी समस्या यह है कि यह पूरा इलाका वर्तमान मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के विधानसभा क्षेत्र सांगानेर के अंतर्गत आता है। मुख्यमंत्री और उनके क्षेत्र के अन्य भाजपा नेताओं द्वारा अब तक इन जर्जर इमारतों की समस्या का समाधान नहीं किया गया है। यह स्थिति तब है जब इन मकानों के निर्माण के समय केंद्र और राज्य सरकार से सब्सिडी और गारंटी प्राप्त की गई थी।
नगर निगम ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा:
नगर निगम ग्रेटर जयपुर ने हाल ही एक पत्र जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि राजस्थान हाउसिंग बोर्ड द्वारा निर्मित इन बहुमंजिला इमारतों की खराब स्थिति के लिए वह कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा। यदि भविष्य में इन इमारतों में किसी भी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी आवंटियों पर ही होगी। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तरह से अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटना मुख्यमंत्री भजन लाल और राजस्थान सरकार की कार्यशैली पर बड़ा सवाल है। राजस्थान हाउसिंग बोर्ड द्वारा गरीब परिवारों को घटिया निर्माण देना और फिर अपनी जिम्मेदारी से हट जाना, इनकी कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाता है।
स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार:
स्थानीय निवासियों ने मुख्यमंत्री के स्थानीय कैम्प ऑफिस और भाजपा के सांगानेर विधानसभा प्रभारी श्रीप्रकाश तिवाड़ी के जरिए सीएम भजन लाल से अपील की है कि इन जर्जर इमारतों की मरम्मत और सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। यह उल्लेखनीय है कि इन मकानों का शिलान्यास 1981-82 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिवचरण माथुर द्वारा किया गया था, और यह बहुमंजिला कॉलोनी का निर्माण उसी समय से प्रारंभ हुआ था।
उपेक्षा से नाराज स्थानीय निवासी:
स्थानीय नागरिकों ने हाउसिंग बोर्ड पर आरोप लगाया है कि वह आवंटियों के साथ धोखाधड़ी कर रहा है और अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है, जबकि मकानों के निर्माण में उनका पूरा पैसा लगाया गया था। इनका मानना है कि एक सरकारी एजेंसी द्वारा इस तरह की उपेक्षा और लापरवाही न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के साथ अन्याय भी है।
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