New Delhi. Durga Prasad Khatri was an expert in creating fantasy worlds like his father, he preserved Babu Devkinandan legacy beautifully-m.khaskhabar.com
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Nov 11, 2024 10:37 pm
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पिता की ही तरह फंतासी दुनिया रचने में माहिर थे दुर्गा प्रसाद खत्री, बाबू देवकीनंदन की विरासत को खूबसूरती से सहेजा

khaskhabar.com : शुक्रवार, 04 अक्टूबर 2024 11:41 AM (IST)
पिता की ही तरह फंतासी दुनिया रचने में माहिर थे दुर्गा प्रसाद खत्री, बाबू देवकीनंदन की विरासत को खूबसूरती से सहेजा
नई दिल्ली। 'बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा'...रोहतास मठ जैसा उपन्यास रचने वाले दुर्गा प्रसाद खत्री ने इस कहावत को चरितार्थ भी किया। जिस शख्स के पिता फंतासी दुनिया की सैर कराती चंद्राकांता जैसी कृति गढ़ने वाले हों भला वो कैसे पीछे रहते। उन्होंने भी कहानियां रची, उपन्यास लिख डाले जिनमें ऐयारी, तिलिस्म, साइंस फिक्शन, देशभक्ति के कण थे। 5 अक्टूबर को इनकी पुण्यतिथि है।


देवकीनंदन खत्री जैसे बरगद की छांव में पनपना कोई आसान बात नहीं, लेकिन दुर्गा में पिता की लेखनी का गुण कूट-कूट कर भरा था। हिंदी भाषा का पहला आधुनिक उपन्यास अगर बाबूजी ने रचा तो बेटे ने परंपरा को बड़ी सुघड़ता से आगे बढ़ाया।

आलोचक मानते हैं कि पिता के कलम जैसा तीखापन दुर्गा प्रसाद खत्री की रचनाओं में नहीं था लेकिन इनकार नहीं किया जा सकता कि देवनागरी के प्रति आकर्षण पिता ने पैदा किया तो बेटे ने भी उस लौ को बुझने नहीं दिया। 'चंद्रकांता संतति' के मुख्य किरदार 'भूतनाथ' को पिता अधूरा छोड़ चल बसे तो बेटे ने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए पूरा किया।

दुर्गा प्रसाद खत्री की कृतियों में पिता की छाप थी तो बदलते समय के साथ तालमेल बनाते हुए आगे बढ़ने का प्रयोग भी। इसकी मिसाल है 'भूतनाथ' और 'रोहतास मठ'। जिसमें तिलिस्म और ऐयारी का सधा अंदाज था। इस रचनाकार ने जासूसी उपन्यासों में भी हाथ आजमाया। 'प्रतिशोध', 'लालपंजा', 'सुफेद शैतानी' जासूसी उपन्यास में राष्ट्रीयता का पुट था। देशभक्ति छलकती थी शायद इसलिए कि वो दौर स्वतंत्रता आंदोलन का था। देश करवट बदल रहा था। 'सागर सम्राट साकेत' और 'कालाचोर' में वैज्ञानिक सोच परिलक्षित होती है। इसमें जासूसी कला को विकसित करने का प्रयास साफ दिखता है।

दुर्गा प्रसाद का सामाजिक उपन्यास 'कलंक कालिमा' प्रेम में अनैतिकता के दुष्परिणाम को दर्शाता है। पूछा जा सकता है कि उनका दुर्गा प्रसाद का योगदान क्या रहा। उनकी साहित्यिक महत्ता यह है कि उन्होंने देवकीनंद खत्री की ऐयारी जासूसी-परंपरा को तो विकसित किया ही साथ ही सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं को जासूसी ताने बाने में बुन दिलचस्प अंदाज में पाठकों के सामने रख दिया।

गणित और विज्ञान विषय की अच्छी समझ थी, शायद इसलिए विज्ञान आधारित जासूसी कहानियों में रोचकता थी, वैज्ञानिक समझ थी।

--आईएएनएस

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