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किसानों को फसलों का वाजिब दाम दिलाना सरकार की चुनौती, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली। किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में जुटी केंद्र सरकार के लिए किसानों को उनकी फसलों का वाजिब व लाभकारी दाम दिलाना एक बड़ी चुनौती है। आमतौर पर यह देखा गया है कि किसान अच्छा भाव मिलने की उम्मीदों से जिन फसलों की खेती में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं और उनकी पैदावार बढ़ती है, उन फसलों का उन्हें उचित भाव नहीं मिल पाता है।
मिसाल के तौर पर इस साल खरीफ सीजन की मुख्य नकदी फसल कपास को लिया जा सकता है। कपास की नई फसल की मंडियों में आवक शुरू हो चुकी है और सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से औसतन 400-500 रुपए कम भाव पर मंडियों में बिक रही है। लेकिन जिन फसलों की पैदावार कम होती है, वह एमएसपी से ऊपर के भाव बिकती है, इसका एक उदाहरण मक्का है जिसका किसानों को पिछले साल के मुकाबले तकरीबन दोगुना दाम मिला।
ऐसे में यह गंभीर विषय है कि पैदावार बढऩे पर किसानों को फसलों का लाभकारी मूल्य कैसे मिले, जबकि केंद्र सरकार लगातार प्रमुख फसलों के एमएसपी में वृद्धि करती रही है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि यह तभी संभव होगा जब सरकार देशभर में एमएसपी पर फसलों की खरीद सुनिश्चित करेगी, मगर इसके लिए समुचित बुनियादी सुविधा सभी राज्यों में उपलब्ध नहीं है।
मिसाल के तौर पर इस साल खरीफ सीजन की मुख्य नकदी फसल कपास को लिया जा सकता है। कपास की नई फसल की मंडियों में आवक शुरू हो चुकी है और सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से औसतन 400-500 रुपए कम भाव पर मंडियों में बिक रही है। लेकिन जिन फसलों की पैदावार कम होती है, वह एमएसपी से ऊपर के भाव बिकती है, इसका एक उदाहरण मक्का है जिसका किसानों को पिछले साल के मुकाबले तकरीबन दोगुना दाम मिला।
ऐसे में यह गंभीर विषय है कि पैदावार बढऩे पर किसानों को फसलों का लाभकारी मूल्य कैसे मिले, जबकि केंद्र सरकार लगातार प्रमुख फसलों के एमएसपी में वृद्धि करती रही है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि यह तभी संभव होगा जब सरकार देशभर में एमएसपी पर फसलों की खरीद सुनिश्चित करेगी, मगर इसके लिए समुचित बुनियादी सुविधा सभी राज्यों में उपलब्ध नहीं है।
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