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राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और प्रचार-प्रसार के लिए शिक्षाविदों की बैठक

khaskhabar.com : गुरुवार, 05 दिसम्बर 2024 6:35 PM (IST)
राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और प्रचार-प्रसार के लिए शिक्षाविदों की बैठक
जयपुर, । शासन सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग कृष्ण कुणाल की अध्यक्षता में राजस्थानी भाषा को राज्यभाषा का दर्जा दिये जाने के सम्बन्ध में गुरुवार को शिक्षा संकुल स्थित शासन सचिव के कक्ष में एक महत्त्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ विद्वानों सहित शिक्षा एवं भाषा विभाग तथा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अधिकारियों ने भाग लिया। राजस्थानी विद्वानों में ओंकार सिंह लखावत, गोविन्द शंकर शर्मा, कल्याण सिंह शेखावत, प्रमोद शर्मा, डॉ. दीपिका विजयवर्गीय सहित अन्य शामिल रहे।


कृष्ण कुणाल ने सभी विद्वानों एवं अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की भावना के अनुरूप राजस्थानी भाषा के उन्नयन के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रत्यन्नशील एवं कटिबद्ध है। ऐसे में राजस्थानी भाषा के विकास एवं प्रचार-प्रसार के लिए सभी आवश्यक प्रयत्न किये जाएंगे।

परिसीमा में बोली जाने वाली प्रत्येक बोली 'राजस्थानी'

बैठक में सभी विद्वानों ने सर्वसम्मति से कुछ महत्वपूर्ण निर्णय एवं विचार व्यक्त किए। सभी का कहना था कि राजस्थान की परिसीमा में बोली जाने वाली प्रत्येक बोली को सम्मिलित करते हुए 'राजस्थानी' भाषा में परिभाषित किया जाना चाहिए। राजस्थानी का किसी भी भाषा एवं बोली से कोई द्वेष अथवा मतभेद नहीं है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुरूप राजस्थान में भी प्रत्येक बालक को प्रारम्भिक शिक्षा उसकी मातृ‌भाषा में ही दी जानी चाहिए, इसके लिए राजस्थान सरकार हरसम्भव प्रयत्न कर शीघ्रातिशीघ्र इस नीति को लागू करने के लिए प्रयत्नशील है। साथ ही राजस्थानी भाषा के विकास एवं उन्नयन के लिए भी सभी प्रयत्न किए जाएंगे।

बैठक में ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि राजस्थानी एवं ब्रज भाषा पर एक पैनोरमा बनाया जाना चाहिए। साथ ही राजस्थानी भाषा के उन्नयन के लिए जो भी मानक सुझाव दिये जाएं, उन्हें मानते हुए हमें भाषा की समृद्धि के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।

राजस्थानी भाषा का शब्दकोष सबसे समृद्ध एवं विस्तृत

विद्वानों ने यह भी बताया कि राजस्थानी शब्दकोष जितना संपन्न एवं प्रचुर अन्य भाषा का शब्दकोष नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा​ दिए जाने एवं शिक्षा का माध्यम बनाने पर यह स्वत: नयी पीढ़ी में प्रचलित हो जाएगी। यदि पाठ्य पुस्तकों के द्वारा इसे अध्ययन-अध्यापन में प्रचलित नहीं किया गया तो इसे बचाना एवं विस्तार देना कठिन हो जाएगा।

बैठक में अधिकारियों ने शिक्षा विभाग द्वारा इस हेतु किये जा रहे प्रयत्नों की भी जानकारी दी। इसमें एनटीटी की परीक्षा में राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के प्रश्नों को प्रश्न सम्मिलित करना, जिला स्तर पर स्थानीय बोलियों के साहित्य प्रकाशन को सुनिश्चित करना, समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत राजस्थानी भाषा की पुस्तकों का क्रय कर उन्हें विद्यार्थियों तक पहुंचाना आदि सम्मिलित है।

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