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दम तोड़ती यमुना की दुर्दशा उजागर करने को ताज नगरी में निकाला मार्च

आगरा। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के नेताओं ने ताज कॉरिडोर से एत्माउद्दौला व्यू पॉइंट तक मार्च किया और मां यमुना संबंधित विरासत को बचाने का आह्वान किया था।
विरोध मार्च करने वालों ने ताजमहल के नीचे की ओर एक बैराज के जल्द निर्माण, नदी के तल को साफ करने और साल भर ताजे पानी के निर्बाध न्यूनतम प्रवाह की मांग की।
हरित कार्यकर्ताओं द्वारा पैदल मार्च का आयोजन रिवर कनेक्ट कैंपेन द्वारा किया गया था, जो लंबे समय से एक राष्ट्रीय नदी नीति तैयार करने और एक केंद्रीय नदी प्रबंधन प्राधिकरण के गठन की मांग कर रहा है।
बैनर और पोस्टर लेकर मार्च करने वालों ने नारे लगाए, यमुना की दयनीय दुर्दशा की ओर जनता का ध्यान आकर्षित किया, जो एक विशाल सीवेज नहर में सिमट गई।
पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि यमुना में पानी की कमी ने प्रदूषण स्तर को बढ़ा दिया है और यमुना नदी के किनारे स्थित ताजमहल और अन्य स्मारकों के लिए एक वास्तविक खतरा बन गया है।
आगरा सिविल सोसाइटी के लीडर अनिल शर्मा ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों ने भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक के पुराने गौरव को फिर से जीवंत करने और बहाल करने के लिए कई बड़े वादे किए, लेकिन दुख की बात है कि अब तक कुछ भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
शर्मा ने कहा कि दिल्ली से आगरा तक फेरी सेवा का वादा सपना बनकर रह गया।
लॉन्ग मार्च का समापन उन राजनेताओं के 'शुद्धिकरण' के लिए 'हवन' के साथ हुआ, जिन्होंने यमुना के मुद्दे को धोखा दिया था।(आईएएनएस)
विरोध मार्च करने वालों ने ताजमहल के नीचे की ओर एक बैराज के जल्द निर्माण, नदी के तल को साफ करने और साल भर ताजे पानी के निर्बाध न्यूनतम प्रवाह की मांग की।
हरित कार्यकर्ताओं द्वारा पैदल मार्च का आयोजन रिवर कनेक्ट कैंपेन द्वारा किया गया था, जो लंबे समय से एक राष्ट्रीय नदी नीति तैयार करने और एक केंद्रीय नदी प्रबंधन प्राधिकरण के गठन की मांग कर रहा है।
बैनर और पोस्टर लेकर मार्च करने वालों ने नारे लगाए, यमुना की दयनीय दुर्दशा की ओर जनता का ध्यान आकर्षित किया, जो एक विशाल सीवेज नहर में सिमट गई।
पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि यमुना में पानी की कमी ने प्रदूषण स्तर को बढ़ा दिया है और यमुना नदी के किनारे स्थित ताजमहल और अन्य स्मारकों के लिए एक वास्तविक खतरा बन गया है।
आगरा सिविल सोसाइटी के लीडर अनिल शर्मा ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों ने भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक के पुराने गौरव को फिर से जीवंत करने और बहाल करने के लिए कई बड़े वादे किए, लेकिन दुख की बात है कि अब तक कुछ भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
शर्मा ने कहा कि दिल्ली से आगरा तक फेरी सेवा का वादा सपना बनकर रह गया।
लॉन्ग मार्च का समापन उन राजनेताओं के 'शुद्धिकरण' के लिए 'हवन' के साथ हुआ, जिन्होंने यमुना के मुद्दे को धोखा दिया था।(आईएएनएस)
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