Advertisement
पर्यावरण अध्ययन की अनिवार्यता : जयपुर की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज नहीं मान रही सुप्रीम कोर्ट के आदेश, अब इन पर कार्रवाई बारी
सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में M.C. Mehta vs. Union of India & Ors. के मामले में फैसला सुनाते हुए पर्यावरण अध्ययन को सभी शैक्षिक संस्थानों में अनिवार्य बताया था ताकि भविष्य की पीढ़ियां पर्यावरण के प्रति जागरूक और संवेदनशील बन सकें। न्यायालय ने कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो यह एक गंभीर मामला होगा। इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने अपने आदेशों में यह भी साफ कर दिया था कि अगर इस निर्देश की पलना नहीं की जाती है तो इसे कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट माना जायेगा और सख्त से सख्त कारवाही की जाएगी।
यूजीसी ने अपने संबद्ध विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को पर्यावरण अध्ययन को स्नातक स्तर पर अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने के लिए निर्देश दिए हैं। UGC ने सभी निजी व सरकारी यूनिवर्सिटी को 14 नवंबर 2014 के नोटिफिकेशन जारी कर सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश की सख्त पालना के निर्देश जारी किये थे। इसके बावजूद जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी, निम्स, महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, मणिपाल यूनिवर्सिटी जैसे राजस्थान के प्राइवेट विश्वविद्यालय इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
उनका तर्क है कि वे राजस्थान प्राइवेट यूनिवर्सिटी अधिनियम 2005 के तहत पंजीकृत हैं और इसलिए उन पर यूजीसी के सामान्य निर्देश लागू नहीं होते। एनवायरनमेंट स्टडीज को नेशनल एजुकेशन पोलिसी 2020 में भी 5 जून 2023 को शामिल कर लिया गया है। इसके बाद इस पाठ्यक्रम को सभी यूनिवर्सिटी द्वारा लागू करना अनिवार्य है। इस प्रकार की उपेक्षा से बचने के लिए, सुप्रीम कोर्ट और यूजीसी को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। अन्यथा, यह न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता को कमजोर करेगा, बल्कि यह भी न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना होगी।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
जयपुर
राजस्थान से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement