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मनीष तिवारी ने चीनी अतिक्रमण पर लोकसभा में दिया स्थगन नोटिस

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को भारतीय क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन नोटिस पेश किया। मैं एक निश्चित मामले पर चर्चा करने के उद्देश्य से सदन के कार्य को स्थगित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की अनुमति मांगता हूं कि यह सदन चीन के साथ सीमा की स्थिति पर विस्तृत चर्चा करने के लिए शून्यकाल और दिन के अन्य कामकाज को निलंबित करें।
नोटिस में उन्होंने कहा, अप्रैल 2020 से चीन लगातार जमीन हड़पने में लगा हुआ है। 16 जनवरी 2023 तक भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की 17 दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसमें बहुत कम सफलता मिली है। इस दौरान चीन अपने सैनिकों के लिए पुलों, सड़कों और आवास सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जारी रख रहा है। चीन एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़पें सीमा पर यथास्थिति को बदलने के उद्देश्य से चीन की लगातार आक्रामकता का एक और संकेत हैं। इस तरह की आक्रामकता अब क्षेत्रीय दायरे तक सीमित नहीं है, जैसा कि पिछले संघर्षों में लगभग 2000 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश में हुई झड़पों से स्पष्ट है।
उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि चीन यथास्थिति बहाल करने को तैयार नहीं है, ऐसी स्थिति जो भारत को भारी नुकसान में डालती है।
इसके बावजूद, 2020 में सैन्य टकराव शुरू होने के बाद से हमारे साथ चीन का बड़ा व्यापार अधिशेष बढ़ना जारी है।
भारत का व्यापार घाटा 2021 के 69.38 अरब डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 101.02 अरब डॉलर रहा।
मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह इस मामले को पूरी गंभीरता से ले और चीन के साथ सीमा की स्थिति के संबंध में संसद में विस्तृत चर्चा करे(आईएएनएस)
नोटिस में उन्होंने कहा, अप्रैल 2020 से चीन लगातार जमीन हड़पने में लगा हुआ है। 16 जनवरी 2023 तक भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की 17 दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसमें बहुत कम सफलता मिली है। इस दौरान चीन अपने सैनिकों के लिए पुलों, सड़कों और आवास सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जारी रख रहा है। चीन एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़पें सीमा पर यथास्थिति को बदलने के उद्देश्य से चीन की लगातार आक्रामकता का एक और संकेत हैं। इस तरह की आक्रामकता अब क्षेत्रीय दायरे तक सीमित नहीं है, जैसा कि पिछले संघर्षों में लगभग 2000 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश में हुई झड़पों से स्पष्ट है।
उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि चीन यथास्थिति बहाल करने को तैयार नहीं है, ऐसी स्थिति जो भारत को भारी नुकसान में डालती है।
इसके बावजूद, 2020 में सैन्य टकराव शुरू होने के बाद से हमारे साथ चीन का बड़ा व्यापार अधिशेष बढ़ना जारी है।
भारत का व्यापार घाटा 2021 के 69.38 अरब डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 101.02 अरब डॉलर रहा।
मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह इस मामले को पूरी गंभीरता से ले और चीन के साथ सीमा की स्थिति के संबंध में संसद में विस्तृत चर्चा करे(आईएएनएस)
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