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यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड के खिलाफ 3,847 करोड़ के ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज

नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई स्थित कंपनी यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड (यूआईएल), कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किशोर अवरसेकर और तीन निदेशकों के खिलाफ 3,847.58 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।
सीबीआई को इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से एक शिकायत मिली थी, जिसमें कहा गया था कि यूआईएल 2004 से एसबीआई का ग्राहक रहा है।
इस अवधि के दौरान, कंपनी ने कथित तौर पर फंड-आधारित और गैर-फंड-आधारित दोनों प्रकार की वित्तीय सेवाओं का उपयोग किया, जिसकी कुल राशि 703.63 करोड़ रुपये थी। कंपनी को कुल 23 विभिन्न ऋणदाताओं से लगभग 3,800 करोड़ रुपये की संयुक्त क्रेडिट सीमा तक पहुंच प्राप्त थी।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यूआईएल ने बैंक को धोखा देने के लिए फर्जी लेनदेन किया।
शिकायत में कहा गया है, "कंपनी ने धोखा देने के काम किये जिसमें धोखाधड़ी वाली एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) व्यापार योजनाओं के माध्यम से फर्जी लेनदेन, डेटा हेरफेर के माध्यम से अनुचित समायोजन, गैर-कंसोर्टियम खातों के माध्यम से फंड डायवर्जन, संबंधित पक्षों को शामिल करते हुए फंड डायवर्जन और अस्पष्टीकृत अत्यधिक भुगतान शामिल हैं। नतीजा यह हुआ कि इसने अवैध तरीके से एसबीआई और अन्य कंसोर्टियम बैंकों से धन की हेराफेरी की और इन वित्तीय संस्थानों को धोखा दिया।''
तथ्यों की पुष्टि करने के बाद, सीबीआई ने अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी और 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2), 13 (1) (डी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
आईएएनएस
सीबीआई को इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से एक शिकायत मिली थी, जिसमें कहा गया था कि यूआईएल 2004 से एसबीआई का ग्राहक रहा है।
इस अवधि के दौरान, कंपनी ने कथित तौर पर फंड-आधारित और गैर-फंड-आधारित दोनों प्रकार की वित्तीय सेवाओं का उपयोग किया, जिसकी कुल राशि 703.63 करोड़ रुपये थी। कंपनी को कुल 23 विभिन्न ऋणदाताओं से लगभग 3,800 करोड़ रुपये की संयुक्त क्रेडिट सीमा तक पहुंच प्राप्त थी।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यूआईएल ने बैंक को धोखा देने के लिए फर्जी लेनदेन किया।
शिकायत में कहा गया है, "कंपनी ने धोखा देने के काम किये जिसमें धोखाधड़ी वाली एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) व्यापार योजनाओं के माध्यम से फर्जी लेनदेन, डेटा हेरफेर के माध्यम से अनुचित समायोजन, गैर-कंसोर्टियम खातों के माध्यम से फंड डायवर्जन, संबंधित पक्षों को शामिल करते हुए फंड डायवर्जन और अस्पष्टीकृत अत्यधिक भुगतान शामिल हैं। नतीजा यह हुआ कि इसने अवैध तरीके से एसबीआई और अन्य कंसोर्टियम बैंकों से धन की हेराफेरी की और इन वित्तीय संस्थानों को धोखा दिया।''
तथ्यों की पुष्टि करने के बाद, सीबीआई ने अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी और 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2), 13 (1) (डी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
आईएएनएस
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