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भुट्टिको : हथकरघा उद्योग को नई पहचान, नरेंद्र मोदी ने अपने "मन की बात" कार्यक्रम में भुट्टिको सोसायटी की चर्चा
1944 में केवल 12 लोगों और 23 रुपए की पूंजी के साथ भुट्टिको सोसायटी की स्थापना हुई। वर्तमान में, इस सोसाइटी में 1000 से अधिक बुनकरों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। भुट्टिको के संस्थापक, स्वर्गीय वेदराम ठाकुर, ने 1956 में कुल्लू शाल का उद्योग शुरू किया और 1960 में भुट्टिको को भुंतर के पास 32 बीघा जमीन लेकर शिफ्ट किया। उनकी मृत्यु के बाद, उनके बड़े बेटे सत्य प्रकाश ठाकुर ने समिति को आगे बढ़ाया।
भुट्टिको सोसायटी आज 130 नियमित और 600 पंजीकृत बुनकरों को रोजगार दे रही है। सोसायटी के हिमाचल प्रदेश सहित देश के विभिन्न शहरों में 34 शोरूम हैं। सोसायटी कुल्लू की शाल, टोपी और अन्य हथकरघा उत्पादों को ऑनलाइन माध्यम से भी बेच रही है।
भुट्टिको ने 1993-94 में वस्त्र मंत्रालय से हथकरघा में विशिष्टता के लिए स्वर्ण पुरस्कार प्राप्त किया। इसके अलावा, सोसायटी को 2005-06 में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स से उद्योग रत्न अवार्ड और 2007-08 में सहकारिता के लिए नेशनल एक्सीलेंस अवार्ड सहित कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए हैं।
भुट्टिको समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने कहा : "सोसायटी के द्वारा हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया जा रहा है। इसके अलावा, कुल्लुवी हथकरघा उत्पादों को देश-विदेश में अलग पहचान दिलाई गई है। सोसायटी के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों से कुल्लू की शॉल और टोपी की विशेष पहचान बनी हुई है और स्थानीय लोगों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।"
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