Kashi Nag Kup, has a direct connection with the underworld, worshipping it removes Kalsarp-Vastu defects-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
May 20, 2025 12:56 pm
Location

काशी का नाग कूप, पाताल लोक से है सीधा कनेक्शन, पूजन से दूर होते हैं कालसर्प-वास्तु दोष

khaskhabar.com: गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 1:01 PM (IST)
काशी का नाग कूप, पाताल लोक से है सीधा कनेक्शन, पूजन से दूर होते हैं कालसर्प-वास्तु दोष
वाराणसी। “गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌…” रावण की रचना ‘शिव तांडव’ में भोलेनाथ के अद्वितीय रूप का वर्णन है। बाबा अपने गले में सर्पों का हार पहने हैं... जहां-जहां भोलेनाथ, वहां-वहां उनके परम भक्त नाग देव। ऐसे में भला शिव की निराली नगरी काशी की बात कैसे न की जाए। जहां एक तरफ संकरी गलियों में सहजता से चलते सांड मिल जाएंगे, तो वहीं दूसरी ओर धर्मनगरी में स्थित है नाग कूप, जिसका द्वार सीधा नागलोक में खुलता है।

बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर बसी काशी के जैतपुरा क्षेत्र में स्थित नाग कूप को लेकर धार्मिक मान्यता है कि प्राचीन कूप का द्वार सीधे नागलोक में खुलता है। आश्चर्य की बात है कि तमाम कोशिशों के बावजूद आज तक यह पता नहीं चल सका कि इसकी गहराई कितनी है।
काशी के ज्योतिषाचार्य, यज्ञाचार्य एवं वैदिक कर्मकांडी पं. रत्नेश त्रिपाठी ने नाग कूप के महत्व, धार्मिक मान्यता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया, "शेषावतार नागवंश के महर्षि पतंजलि ने कई साल तक इसी जगह तप-ध्यान किया था। उन्होंने यहीं पर व्याकरणाचार्य पाणिनी के भाष्य की रचना की थी। नागकूप के बारे में धार्मिक कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार काशी के इस प्राचीन नागकूप का इतिहास हजारों साल पुराना है। आम कूप की तरह दिखने वाले इस नाग कूप में कई रहस्य हैं। यहां पर बाबा कारकोटेश्वर के रूप में विराजमान हैं। इस कूप के अंदर कुल सात कुएं और उनके नीचे सीढ़ियां हैं, जो नागलोक तक ले जाती हैं।”
स्कंद पुराण में वर्णित है कि काशी का नागकूप वह स्थल है, जो पाताल लोक, नागलोक का मार्ग है।
उन्होंने आगे बताया, “कूप के अंदर एक शिवलिंग भी है, जिसका दर्शन दुर्लभ है। साल में एक बार नाग पंचमी के अवसर पर कूप की सफाई होती है, तभी बाबा के दर्शन हो पाते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है और लोग दर्शन-पूजन के लिए मंदिर में जुटते हैं। श्रद्धालु कूप में धान का लावा, दूध भी चढ़ाते हैं और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।”
पं. रत्नेश त्रिपाठी ने बताया कि जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष है, यदि वे इस कूप का दर्शन करते हैं और नियम के साथ पूजा-पाठ करते हैं तो कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। राहू-केतु समेत अन्य ग्रह भी शांत होते हैं। कूप का जल बेहद पवित्र और वास्तु के लिए भी बेहद लाभदायी माना जाता है। कूप के जल का घर में छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement