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प्लास्टिक मुक्त होंगे कांगड़ा के मंदिर, प्लास्टिक फूलों की जगह लेंगे असली पुष्प

धर्मशाला। कांगड़ा जिला प्रशासन क्षेत्र के मंदिरों को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण पहल करने जा रहा है। प्रशासन जिले में प्लास्टिक मुक्त मंदिर परियोजना का शुभारंभ करेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत मंदिरों में रखे प्लास्टिक के फूलों को असली फूलों से बदला जाएगा।
जिलाधिकारी डॉ. निपुण जिंदल विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में 5 जून को प्रातः साढ़े 11 बजे चामुंडा माता मंदिर से प्लास्टिक मुक्त मंदिर परियोजना का शुभारंभ करेंगे। यह पहल मंदिर परिसरों के भीतर प्लास्टिक सामग्री का उपयोग में परहेज और प्राकृतिक विकल्पों के उपयोग को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। मंदिरों के भीतर पर्यावरण के अनुकूल वातावरण बनाने, प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता को और मजबूत करने को समर्पित है।
डॉ. निपुण जिंदल ने कहाकि हाल के वर्षों में प्लास्टिक प्रदूषण के मुद्दे पर दुनियाभर में चिंता जताई गई है। पर्यावरण पर प्लास्टिक कचरे के हानिकारक प्रभाव तेजी से स्पष्ट हो गए हैं। कांगड़ा जिला प्रशासन इस मुद्दे को संबोधित करने की तात्कालिकता को पहचानता है। प्लास्टिक-मुक्त मंदिर परियोजना इसी का परिणाम है।
उन्होंने कहाकि प्लास्टिक के फूल, जो अक्सर मंदिरों में सजावट समेत अन्य के रूप में उपयोग किए जाते हैं। प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या में योगदान करते हैं। इन कृत्रिम फूलों को असली फूलों से बदलकर, प्रशासन टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और मंदिरों के भीतर पर्यावरण अनुकूल व स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए प्रयासरत है।
जिलाधिकारी डॉ. निपुण जिंदल विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में 5 जून को प्रातः साढ़े 11 बजे चामुंडा माता मंदिर से प्लास्टिक मुक्त मंदिर परियोजना का शुभारंभ करेंगे। यह पहल मंदिर परिसरों के भीतर प्लास्टिक सामग्री का उपयोग में परहेज और प्राकृतिक विकल्पों के उपयोग को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। मंदिरों के भीतर पर्यावरण के अनुकूल वातावरण बनाने, प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता को और मजबूत करने को समर्पित है।
डॉ. निपुण जिंदल ने कहाकि हाल के वर्षों में प्लास्टिक प्रदूषण के मुद्दे पर दुनियाभर में चिंता जताई गई है। पर्यावरण पर प्लास्टिक कचरे के हानिकारक प्रभाव तेजी से स्पष्ट हो गए हैं। कांगड़ा जिला प्रशासन इस मुद्दे को संबोधित करने की तात्कालिकता को पहचानता है। प्लास्टिक-मुक्त मंदिर परियोजना इसी का परिणाम है।
उन्होंने कहाकि प्लास्टिक के फूल, जो अक्सर मंदिरों में सजावट समेत अन्य के रूप में उपयोग किए जाते हैं। प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या में योगदान करते हैं। इन कृत्रिम फूलों को असली फूलों से बदलकर, प्रशासन टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और मंदिरों के भीतर पर्यावरण अनुकूल व स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए प्रयासरत है।
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