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झुंझुनूं की धरा के कण-कण में रणबांकुरों की कहानियां लिखी हुई हैं... पढ़ें
झुंझुनूं/जयपुर। सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष (राज्य मंत्री) प्रेम सिंह बाजौर ने शहीद और शहीद की वीरांगना को शीश झुकाकर नमन करते हुए कहा कि झुंझुनूं की धरा के कण-कण में रणबांकुरों की कहानियां लिखी हुई हैं। धन्य हैं, यहां कि माताएं जिन्होंने अपने लाड़लों को देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती करवाया और उनके लाड़लों ने बहादुरी से वीरता का जज्बा दिखाते हुए देश रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर किया।
राज्यमंत्री प्रेम सिंह बाजौर झुंझुनूं जिले के एक दिवसीय दौरे पर शनिवार को पहले मंड़ावा क्षेत्र के टोड़रवास गांव में राजपूत राइफल्स के 1971 के शहीद भानी सिंह शेखावत की मूर्ति का और दोपहर बाद शाम को नवलगढ़ पंचायत समिति के बुगाला गांव के हनुमान नगर में शहीद शबल सिंह शेखावत की मूर्ति का अनावरण करने के बाद उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे।
बाजौर ने कहा कि जब मालिक ने उन्हें कुछ करने की हिम्मत दी है तो उन्हें शहीदों को मान-सम्मान देने में बहुत बड़ा सुकून मिल रहा है। आज वे जिन गांवों में आजादी से लेकर कारगिल युद्ध से पहले के शहीदों की मूर्तियां लगवा रहे हैं, वहां ग्रामीणों, शहीद के परिजनों और जन प्रतिनिधियों का कहना है कि हमें यह मालूम ही नहीं था कि हमारे गांव में यह जवान कभी कोई शहीद भी हुआ था ? वास्तव में राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने इतनी बड़ी राशि शहीदों की मूर्तियां बनवाने पर खर्च कर एक अनूठा प्रयास किया है।
उन्होंने 36 कौम के सभी लोगों को शहीदों की शहादत का मान-सम्मान करने की हिदायत देते हुए कहा कि शहीदों को जाति और धर्म में नहीं बांटकर एक देवता के रूप में पूजा जाना चाहिए। उन्होंने लोगों को भारत देश को एक बार फिर से विश्व गुरु का दर्जा दिलवाने, देश हित में अच्छे कार्य करने और देश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने की सलाह भी दी।
राज्यमंत्री प्रेम सिंह बाजौर झुंझुनूं जिले के एक दिवसीय दौरे पर शनिवार को पहले मंड़ावा क्षेत्र के टोड़रवास गांव में राजपूत राइफल्स के 1971 के शहीद भानी सिंह शेखावत की मूर्ति का और दोपहर बाद शाम को नवलगढ़ पंचायत समिति के बुगाला गांव के हनुमान नगर में शहीद शबल सिंह शेखावत की मूर्ति का अनावरण करने के बाद उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे।
बाजौर ने कहा कि जब मालिक ने उन्हें कुछ करने की हिम्मत दी है तो उन्हें शहीदों को मान-सम्मान देने में बहुत बड़ा सुकून मिल रहा है। आज वे जिन गांवों में आजादी से लेकर कारगिल युद्ध से पहले के शहीदों की मूर्तियां लगवा रहे हैं, वहां ग्रामीणों, शहीद के परिजनों और जन प्रतिनिधियों का कहना है कि हमें यह मालूम ही नहीं था कि हमारे गांव में यह जवान कभी कोई शहीद भी हुआ था ? वास्तव में राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने इतनी बड़ी राशि शहीदों की मूर्तियां बनवाने पर खर्च कर एक अनूठा प्रयास किया है।
उन्होंने 36 कौम के सभी लोगों को शहीदों की शहादत का मान-सम्मान करने की हिदायत देते हुए कहा कि शहीदों को जाति और धर्म में नहीं बांटकर एक देवता के रूप में पूजा जाना चाहिए। उन्होंने लोगों को भारत देश को एक बार फिर से विश्व गुरु का दर्जा दिलवाने, देश हित में अच्छे कार्य करने और देश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने की सलाह भी दी।
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