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झारखंड : चतरा में महागठबंधन में दरार से भाजपा की राह आसान!
चतरा। झारखंड का चतरा लोकसभा क्षेत्र न केवल झारखंड के लिए, बल्कि बिहार में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। चतरा से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद प्रसाद के नजदीकी समझे जाने वाले सुभाष यादव के राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर जाने से यहां विपक्षी महागठबंधन में दरार पैदा हो गई है, और मुकाबला त्रिकोणात्मक दिख रहा है। चतरा से कांग्रेस ने बरही के विधायक मनोज यादव को टिकट थमाया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मौजूदा सांसद सुनील कुमार सिंह पर एक बार फिर विश्वास जताया है। इन सब के बीच, कांग्रेस जहां इस सीट पर अपने 30 साल से ज्यादा के वनवास को तोडऩा चाह रही है, वहीं राजद ने भी अपनी इस परंपरागत सीट से बिहार के सुभाष यादव को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
इससे भाजपा की राह आसान मानी जा रही है। इस सीट के मतदाताओं ने इस चुनाव में स्थानीय उम्मीदवारों की मांग की थी, परंतु सभी दलों ने उनकी मांगों को अनदेखा कर एक बार फिर बाहरियों पर भरोसा जताया है। लातेहार के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विशाल शर्मा कहते हैं कि महागठबंधन में शामिल दोनों दलों के चुनावी मैदान में उतर जाने से भाजपा विरोधी वोट कांग्रेस और राजद में बंट जाएंगे, जिसका लाभ भाजपा उम्मीदवार को मिलना तय है।
हालांकि भाजपा के लिए स्थानीय उम्मीदवार राजेंद्र कुमार साहू के बतौर निर्दलीय चुनावी समर में आने से परेशानी बढ़ी है। चतरा लोकसभा सीट की अधिकांश आबादी गांवों में रहती है और इसमें अधिकतर अनुसूचित जाति के लोग शामिल हैं। हालांकि वैश्य, यादव समुदाय के मतदाता भी यहां के चुनाव परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं।
पांच विधानसभा क्षेत्रों वाला चतरा संसदीय क्षेत्र नक्सल प्रभावित लातेहार, पलामू तथा चतरा जिले में फैला है। चतरा लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में 2014 के चुनाव में चतरा और मनिका पर जहां भाजपा ने जीत दर्ज की थी, वहीं कांग्रेस ने पांकी तथा झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) ने लातेहार व सिमरिया विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मौजूदा सांसद सुनील कुमार सिंह पर एक बार फिर विश्वास जताया है। इन सब के बीच, कांग्रेस जहां इस सीट पर अपने 30 साल से ज्यादा के वनवास को तोडऩा चाह रही है, वहीं राजद ने भी अपनी इस परंपरागत सीट से बिहार के सुभाष यादव को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
इससे भाजपा की राह आसान मानी जा रही है। इस सीट के मतदाताओं ने इस चुनाव में स्थानीय उम्मीदवारों की मांग की थी, परंतु सभी दलों ने उनकी मांगों को अनदेखा कर एक बार फिर बाहरियों पर भरोसा जताया है। लातेहार के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विशाल शर्मा कहते हैं कि महागठबंधन में शामिल दोनों दलों के चुनावी मैदान में उतर जाने से भाजपा विरोधी वोट कांग्रेस और राजद में बंट जाएंगे, जिसका लाभ भाजपा उम्मीदवार को मिलना तय है।
हालांकि भाजपा के लिए स्थानीय उम्मीदवार राजेंद्र कुमार साहू के बतौर निर्दलीय चुनावी समर में आने से परेशानी बढ़ी है। चतरा लोकसभा सीट की अधिकांश आबादी गांवों में रहती है और इसमें अधिकतर अनुसूचित जाति के लोग शामिल हैं। हालांकि वैश्य, यादव समुदाय के मतदाता भी यहां के चुनाव परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं।
पांच विधानसभा क्षेत्रों वाला चतरा संसदीय क्षेत्र नक्सल प्रभावित लातेहार, पलामू तथा चतरा जिले में फैला है। चतरा लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में 2014 के चुनाव में चतरा और मनिका पर जहां भाजपा ने जीत दर्ज की थी, वहीं कांग्रेस ने पांकी तथा झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) ने लातेहार व सिमरिया विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था।
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