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जयपुर : वक्फ संशोधन बिल और समाज सुधार पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद का अधिवेशन
कार्यक्रम के संयोजक मुफ्ती अखलार्कुरहमान कासमी ने शनिवार को होटल आरको पैलेस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियों, फिजूलखर्ची और आपसी झगड़ों को समाप्त करना है। कासमी ने कहा, "हमारा लक्ष्य हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करना, गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखना और प्यार और मोहब्बत का पैगाम फैलाना है।"
इस अवसर पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा पर जोर दिया और कहा कि वक्फ संशोधन बिल का पारित होना समुदाय और देश के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, "हमारे वक्फ संपत्तियां हमारे पूर्वजों द्वारा दान की गई अमानत हैं, जिनका धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।"
प्रदेश अध्यक्ष मौलाना राशिद कासमी ने भी वक्फ संशोधन बिल को भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ बताया और कहा कि सरकार का वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप करना समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
प्रदेश महासचिव मुफ्ती अब्दुल वहाब ने बताया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसके हजारों कार्यकर्ताओं ने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी संगठन देश के भाईचारे और एकता के लिए काम कर रहा है।
यह अधिवेशन न केवल वक्फ संपत्तियों के संरक्षण के लिए, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और देश में भाईचारे की भावना को बनाए रखने के लिए भी अहम कदम है।
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