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वन क्षेत्र में खनन सहित अन्य गतिविधियों पर हनुमान बेनीवाल के सवाल पर मिली जानकारी
नई दिल्ली/नागौर। वर्ष 2019-20 से लेकर 2021-22 तक राजस्थान राज्य से कुल 118 प्रस्ताव खनन सहित अन्य गतिविधियों की अनुमति हेतु केंद्र को भेजे गए जिसमे से 54 प्रस्तावो का अंतिम अनुमोदन कर दिया। वहीं 45 प्रस्ताओ को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गई। यह जानकारी सोमवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल के जवाब में वन, पर्यावरण एवम जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दी। सांसद के सवाल के जवाब में मंत्री ने यह भी बताया की बिना अनुमति वन क्षेत्र में किसी गतिविधि से जुड़ी शिकायत प्राप्त होने पर मौजूदा नियमों और दिशा निर्देशों के अनुसार आवश्यक कार्यवाही हेतु संबंधित राज्य सरकारों को भेजा जाता है।
इस अवधि में भारत सरकार के पास राजस्थान से अप्रोच श्रेणी के 2,रक्षा से जुड़े 4,औषधालय से जुड़े 2,पेयजल से जुड़े 7,सिंचाई से जुड़े 6, खनन से जुड़े 2,ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े 4, पाईप लाइन से जुड़े 4,रेलवे से जुड़े 1,सड़क से जुड़े 53, सब स्टेशन से जुड़ा 1, पारेसण लाइन से जुड़े 26 व अन्य कार्यों के 4 सहित कुल 118 प्रस्ताव प्राप्त हुए।
यह कहा सांसद बेनीवाल ने सांसद ने कहा मंत्रालय के जवाब के अनुसार वन भूमि पर गैर वानिकी उद्देश्य के लिए अपर्वतन के प्रस्तावों पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाती है। सांसद ने कहा केंद्र को शिकायत से जुड़े मामले संबंधित राज्यों को प्रेषित करने के स्थान पर केंद्र को सीधे कार्यवाही भी करनी चाहिए ताकि वन क्षेत्र का संरक्षण हो सके।
इस अवधि में भारत सरकार के पास राजस्थान से अप्रोच श्रेणी के 2,रक्षा से जुड़े 4,औषधालय से जुड़े 2,पेयजल से जुड़े 7,सिंचाई से जुड़े 6, खनन से जुड़े 2,ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े 4, पाईप लाइन से जुड़े 4,रेलवे से जुड़े 1,सड़क से जुड़े 53, सब स्टेशन से जुड़ा 1, पारेसण लाइन से जुड़े 26 व अन्य कार्यों के 4 सहित कुल 118 प्रस्ताव प्राप्त हुए।
यह कहा सांसद बेनीवाल ने सांसद ने कहा मंत्रालय के जवाब के अनुसार वन भूमि पर गैर वानिकी उद्देश्य के लिए अपर्वतन के प्रस्तावों पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाती है। सांसद ने कहा केंद्र को शिकायत से जुड़े मामले संबंधित राज्यों को प्रेषित करने के स्थान पर केंद्र को सीधे कार्यवाही भी करनी चाहिए ताकि वन क्षेत्र का संरक्षण हो सके।
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