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दुर्गाष्टमी पर हिमाचल के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता

khaskhabar.com : बुधवार, 29 मार्च 2023 4:04 PM (IST)
दुर्गाष्टमी पर हिमाचल के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता
ज्वालामुखी। दुर्गाष्टमी के पावन अवसर पर आज प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में बडी तादाद श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पूजा अर्चना की। कुछ इसी तरह का माहौल ब्रजेश्वरी धाम कांगड़ा, चामुंडा नंदिकेश्वर धाम में देखने को मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में बड़ी तादाद में पड़ोसी राज्यों से श्रद्धालु यहां दर्शनों को आ रहे हैं। दुर्गाष्टमी पर मंदिर नगरियां माता के जयकारों से गूंज रही है। धार्मिक श्रद्धा एवं विशवास के साथ सैंकड़ों की तादाद में लोग मन्दिर में बीती रात से ही दर्शनों के लिये डटे हैं। बीती रात से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।

यहां भक्ति भावना से ओत प्रोत श्रद्धालु माता की महिमा का गुणगान भजन कीर्तन के साथ भी कर रहे हैं। जिससे पूरा वातावरण भक्ति रस में डूबा है। मन्दिर मार्ग पूरी तरह श्रद्दालुओं से खचाखच भरा हुआ है। बड़े सवेरे से ही दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है । श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें देखी गईं । लंबे अंतराल के बाद नगर में रौनक बढऩे से दुकानदारों के चेहरे भी खिले हैं । उन्हें उम्मीद है कि अब उनका रोजगार बढ़ेगा। लेकिन कतारों की वजह से कुछ दुकानदार परेशान भी दिखे। लंबी कतारों में होने की वजह से उन्हें अपने कारोबार में विपरीत असर पड़ने की शिकायत थी।

पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग यहां आ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के परवाणू से आये श्रद्धालु पवन कुमार ने कहा कि वह लोग हर साल यहां अपने गांव में होने वाले जागरण के ज्योति लेने आते हैं। इस बार भी आये हैं। यहां आकर मन प्रसन्न होता है। व शांति मिलती है।

एसडीएम संजीव कुमार ने बताया कि प्रशासन मंदिर में आने जाने के लिये सुरक्षा कारणों से अलग अलग रास्ते बनाये गये हैं। व पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई भी श्रद्धालु परेशान न हो। मंदिर की हर गतिविधि का सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से नजर रखी जा रही है।

पंडित प्रबल शास्त्री ने बताया कि नवरात्र के आठवें दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती है। दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। उनकी आयु आठ वर्ष बतायी गयी है। इनका दाहिना ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला हाथ वर की शान्त मुद्रा में है।

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