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भारत-मंगोलिया की दोस्ती हुई और गहरी, पीएम मोदी ने 'आध्यात्मिक पड़ोसी' के साथ रिश्तों को बताया खास

पीएम मोदी ने आगे कहा कि दस साल पहले मंगोलिया की अपनी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी का रूप दिया था। उन्होंने कहा, "पिछले एक दशक में हमारी साझेदारी के हर आयाम में नई गहराई और विस्तार आया है। रक्षा और सुरक्षा सहयोग लगातार मजबूत हुआ है।"
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत और मंगोलिया के रिश्ते केवल राजनयिक संबंधों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह आध्यात्मिक और आत्मीय बंधन पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, "हमारे संबंधों की असली गहराई हमारे पीपल-टू-पीपल-टाइज में दिखाई देती है। सदियों से दोनों देश बौद्ध धर्म के सूत्र में बंधे हैं। इस वजह से हमें 'स्पिरिचुअल सिबलिंग' कहा जाता है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि अगले वर्ष भगवान बुद्ध के दो महान शिष्यों सारिपुत्र और मौद्गल्या-यन के पवित्र अवशेष भारत से मंगोलिया भेजे जाएंगे। यह कदम दोनों देशों के बीच बौद्धिक और धार्मिक संबंधों को और गहरा करेगा।"
इसके अलावा, भारत 'गंदन मॉनेस्ट्री' में एक संस्कृत शिक्षक भी भेजेगा, ताकि वहां बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन और प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारा रिश्ता राजनीतिक सीमाओं से परे है। भले ही भारत और मंगोलिया की सीमाएं आपस में नहीं जुड़ी हैं, लेकिन भारत हमेशा मंगोलिया को अपना पड़ोसी मानता है।"
पीएम मोदी ने कहा कि भारत मंगोलिया के साथ मिलकर विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक मंचों पर और सशक्त करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने इस अवसर पर मंगोलियाई नागरिकों के लिए मुफ्त ई-वीजा सुविधा देने की भी घोषणा की है, ताकि दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और यात्राओं में आसानी हो सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारी सीमाएं भले न जुड़ी हों, लेकिन हमारे दिल जुड़े हैं। भारत और मंगोलिया की मित्रता समय के साथ और मजबूत होगी।"
इस बैठक को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और रणनीतिक सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
--आईएएनएस
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