Advertisement
हिंदुस्तान जिंक का शिक्षा संबल समर कैंप: 1,500 से अधिक ग्रामीण प्रतिभाएं लाभान्वित, 10वीं के नतीजों में जबरदस्त उछाल

इन समर कैंपों में 300 से अधिक विद्यार्थियों ने उदयपुर के विद्या भवन में आवासीय कैंप में भाग लिया, जबकि 1200 विद्यार्थियों ने आगूचा, चित्तौड़गढ़, दरीबा, देबारी, जावर और कायड़ जैसे स्थानों पर गैर-आवासीय कैंपों का लाभ उठाया। इस पहल में प्रोजेक्ट अध्यापकों के साथ-साथ गार्गी कॉलेज, आइसर मोहाली, आइसर पुणे और दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों से आए 90 से अधिक वॉलंटियर्स ने विद्यार्थियों के साथ मिलकर विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। विद्या भवन के साधन सेवी और हिंदुस्तान जिंक के कर्मचारी तथा संबंधित विशेषज्ञों ने भी कैंप की गतिविधियों में सक्रिय सहयोग दिया।
शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास पर जोर:
कैंप में विद्यार्थियों को विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ने-लिखने के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिला। समापन समारोह में विद्यार्थियों ने पूरे माह में सीखी विभिन्न चीजों की प्रदर्शनी एवं प्रस्तुति दी और अपने अनुभव अतिथियों से साझा किए। यह समारोह कुंभा सभागार प्रताप गौरव केंद्र में वेदांता की सीएसआर हेड अनुपम निधि और विद्या भवन सोसाइटी के राजेंद्र भट्ट सहित गणमान्य अतिथियों एवं अभिभावकों की उपस्थिति में आयोजित हुआ।
नतीजों में क्रांतिकारी सुधार:
हिंदुस्तान जिंक द्वारा प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के 6 जिलों के 72 राजकीय विद्यालयों के 1,500 से अधिक बच्चों के लिए आयोजित इस कैंप का मकसद बच्चों को पढ़ाई, कौशल, खेल और संस्कृति के जरिए आगे बढ़ाना था। इस कैंप की वजह से इस क्षेत्र में 10वीं कक्षा के नतीजों में जबरदस्त सुधार आया है। जहाँ 2007 में सिर्फ 45 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण होते थे, वहीं अब 2025 में यह आँकड़ा बढ़कर 93.6 प्रतिशत हो गया है। शिक्षा संबल ने बच्चों को पढ़ाई में आने वाली मुश्किलों को दूर करने और स्कूल छोड़ने वालों की संख्या को कम करने में भी सहायता की है।
हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने इस पहल की तारीफ करते हुए कहा, "हिंदुस्तान जिंक शिक्षा को देश के भविष्य के लिए एक बड़ा निवेश मानता है। शिक्षा संबल का मकसद सिर्फ पढ़ाई में कमी पूरी करना नहीं है, बल्कि उन बच्चों में आत्मविश्वास, अच्छा व्यवहार और सीखने की उत्सुकता जगाना है, जिनके पास अक्सर साधन नहीं होते। यह कैंप हर बच्चे को अच्छी शिक्षा और अनुभव सुनिश्चित करता है।"
भीलवाड़ा जिले की 10वीं कक्षा की छात्रा आशा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "पहले मुझे विज्ञान में दिक्कत होती थी, लेकिन अब मैं अधिक आत्मविश्वास महसूस करती हूँ। मैं एक इंजीनियर बनना चाहती हूँ और एक दिन अपने गाँव के छोटे बच्चों को उसी तरह मदद करना चाहती हूँ, जैसे शिक्षा संबल ने मेरी की।" कई विद्यार्थियों ने घर से एक माह दूर रहने के बावजूद कैंप से वापस न जाने की इच्छा व्यक्त की।
उन्होंने बताया कि ग्रुप-वर्क से उन्हें बेहतर समझ आया और यहाँ की एक विषय की डेढ़ घंटे की कक्षा भी कम महसूस हुई। कार्यक्रम के दौरान शिक्षा संबल कॉफी टेबल बुक और वीडियो का भी विमोचन किया गया। इसके अतिरिक्त, विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित प्रतियोगिताओं (पोस्टर मेकिंग, निबंध लेखन, आर्ट एंड क्राफ्ट) का भी आयोजन किया गया।
हिंदुस्तान जिंक का शिक्षा संबल कार्यक्रम ग्रामीण राजस्थान में बच्चों को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है। कंपनी ने हाल ही में राजस्थान के शिक्षा विभाग के साथ एमओयू भी किया है, जिसके तहत अगले पाँच सालों में शिक्षा के विकास के लिए 36 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा, कंपनी को 28वें भामाशाह पुरस्कारों में शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए 6 पुरस्कार भी मिले हैं। हिंदुस्तान जिंक शिक्षा संबल के साथ ही ऊँची उड़ान (जो गरीब बच्चों को आईआईटी की तैयारी में मदद करती है) और जीवन तरंग (जो सुनने और बोलने में दिक्कत वाले बच्चों को सशक्त बनाती है) जैसे कार्यक्रम भी संचालित कर रही है।
कंपनी ग्रामीण महिलाओं और किसानों को रोजगार हेतु प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवा, जल संरक्षण एवं स्वच्छता हेतु भी प्रतिबद्ध है। हिंदुस्तान जिंक देश की टॉप 10 सामाजिक रूप से जिम्मेदार कंपनियों में से एक है, जो एक ऐसे आत्मनिर्भर राजस्थान के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है जो सभी को साथ लेकर चले, नयापन लाए और पर्यावरण का ध्यान रखे।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
उदयपुर
राजस्थान से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement
Traffic
Features
