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हरियाणा : लंदन ओलंपिक में रेसलिंग के ब्रॉन्ज विजेता का राजनीति में पदार्पण!
नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती जगत के जांबाज़ पहलवान योगेश्वर दत्त इन दिनों सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि योगेश्वर कुश्ती से संयास लेने के बाद अब राजनीति में ताकत आजमा सकते हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें सोनीपत से टिकट देकर राजनीति में उतार सकती है।
उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनावों में योगेश्वर हरियाणा के सोनीपत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं। योगेश्वर दत्त हरियाणा के रहने वाले एक जाने माने भारतीय कुश्ती खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2012 ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में कुश्ती की 60 किग्रा फ़्रीस्टाइल स्पर्धा में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था।
योगेश्वर 2014 में स्कॉटलैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। 2012 में भारत सरकार द्वारा उन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कुश्ती से सन्यास
2018 में पहलवान योगेश्वर दत्त ने विश्व कुश्ती से सन्यास ले लिया। सन्यास लेने के फैसले के पीछे का कारण बताते हुए योगेश्वर कहते हैं कि अगर उनके पास बजरंग पूनिया जैसा शिष्य नहीं होता तो वे इतनी जल्दी सन्यास नहीं लेते।
विश्व कुश्ती में लंबी पारी खेलने वाले योगेश्वर ने 2020 के तोक्यो ओलंपिक्स के लिए अपने शिष्य बजरंग पूनिया को तैयार करने के इरादे से पिछले साल सन्यास ले लिया।
उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनावों में योगेश्वर हरियाणा के सोनीपत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं। योगेश्वर दत्त हरियाणा के रहने वाले एक जाने माने भारतीय कुश्ती खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2012 ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में कुश्ती की 60 किग्रा फ़्रीस्टाइल स्पर्धा में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था।
योगेश्वर 2014 में स्कॉटलैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। 2012 में भारत सरकार द्वारा उन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कुश्ती से सन्यास
2018 में पहलवान योगेश्वर दत्त ने विश्व कुश्ती से सन्यास ले लिया। सन्यास लेने के फैसले के पीछे का कारण बताते हुए योगेश्वर कहते हैं कि अगर उनके पास बजरंग पूनिया जैसा शिष्य नहीं होता तो वे इतनी जल्दी सन्यास नहीं लेते।
विश्व कुश्ती में लंबी पारी खेलने वाले योगेश्वर ने 2020 के तोक्यो ओलंपिक्स के लिए अपने शिष्य बजरंग पूनिया को तैयार करने के इरादे से पिछले साल सन्यास ले लिया।
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