Haryana Assembly Elections: Bharatiya Janata Party on the backfoot-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Oct 11, 2024 11:16 pm
khaskhabar
Location
Advertisement

हरियाणा विधानसभा चुनाव : बैकफ़ुट पर भारतीय जनता पार्टी

khaskhabar.com : रविवार, 08 सितम्बर 2024 11:32 AM (IST)
हरियाणा विधानसभा चुनाव : बैकफ़ुट पर भारतीय जनता पार्टी
90 विधानसभा सीटों वाला हरियाणा प्रदेश आगामी 5 अक्टूबर को विधानसभा के आम चुनावों का सामना करने जा रहा है। गत वर्षों में हुए किसान आंदोलनों में अपनी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला हरियाणा, किसान आंदोलनों के बाद पहली बार विधानसभा चुनावों से रूबरू होने जा रहा है। चूंकि हरियाणा विगत दस वर्षों से भाजपा शासित राज्य रहा है इसलिए यहाँ की हरियाणा सरकार पर ही यह सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी थी कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य सरकार किसी भी तरह से दिल्ली जाने की ग़रज़ से पंजाब से आने वाले किसानों को भी हरियाणा में प्रवेश करने से रोके और साथ ही हरियाणा-दिल्ली सीमा पर इन्हें दिल्ली प्रवेश से भी रोके।

ज़ाहिर है हरियाणा की तत्कालीन खट्टर सरकार ने केंद्र की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए ऐसा ही किया। खट्टर सरकार को राज्य की पंजाब और दिल्ली की सीमाओं पर भारी पुलिस तैनाती करनी पड़ी। किसानों पर लाठी चार्ज, आंसू गैस, वाटर केनन का इस्तेमाल किया। यहाँ तक कि गोलियां भी चलानी पड़ीं। इसी गोलीबारी में कई लोग घायल हुए और एक युवा किसान की हत्या भी हो गयी। परन्तु किसानों से की गयी इस ज़ोर आज़माइश के कारण भाजपा की राज्य व केंद्र सरकार को भारी किसान असंतोष का सामना भी करना पड़ा।
किसानों की नाराज़गी पिछले दिनों हुए लोकसभा 2024 के चुनाव में ही स्पष्ट हो गयी थी। क्योंकि जिस हरियाणा में 2019 में भाजपा को राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी, वहीं इस बार 2024 के चुनाव में उसे 5 सीटें ही मिल सकीं। जबकि कांग्रेस भाजपा से 5 सीटें झटकने में कामयाब रही। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर केंद्र में भी इसी मक़सद से ले जाया गया है ताकि शायद किसानों का ग़ुस्सा कुछ कम हो सके।
ग़ौरतलब है कि खट्टर के मुख्यमंत्री रहते उनकी सरकार ने कई बार न केवल किसानों पर दमनात्मक कार्रवाई की थी बल्कि स्वयं खट्टर ने ही अपने समर्थकों को किसानों के विरुद्ध हिंसा करने के लिए भी भड़काया था। आज भी हरियाणा सरकार ने शंभु बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए बैरियर बना रखे हैं जिसकी वजह से राजस्थान, जम्मू कश्मीर व पंजाब की तरफ़ से दिल्ली हरियाणा व उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाले वाहनों को भारी परेशानी व जाम का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले 10 वर्षों की सत्ता विरोधी लहर होने के साथ ही इस बार चुनावों में भाजपा के महिला सुरक्षा के दावे और उसकी हक़ीक़त भी एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। ख़ास तौर पर ऐसे वक़्त में जब देश का विश्व में नाम रोशन करने वाली विश्व प्रसिद्ध पहलवान विनेश फोगट और बजरंग पूनिया जैसे ओलम्पियंस कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। विनेश फोगाट को राज्य की जुलाना विधानसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी घोषित किया गया है जबकि बजरंग पूनिया को किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्हें संगठन में और भी बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है।
जहाँ किसान नेता, भाजपा सांसद व कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के ख़िलाफ़ उसके नारी शोषण के विरुद्ध किए जा रहे आंदोलन में इन ओलम्पियन्स के साथ खड़े थे। वहीं यह ओलम्पियन्स भी किसान आंदोलन का समर्थन करते देखे गए थे। क्योंकि यह पहलवान भी दरअसल किसान घरानों से ही आते हैं और किसानों की जायज़ मांगों से बख़ूबी वाक़िफ़ हैं। हालाँकि इन खिलाड़ियों के कांग्रेस का दामन थामने के बाद बृज भूषण सिंह ने ज़ोर शोर से यह कहना शुरू कर दिया है कि पहलवानों द्वारा उनके विरुद्ध शोषण का आरोप लगाना कांग्रेस द्वारा दो वर्ष पूर्व लिखी गयी स्क्रिप्ट का हिस्सा थी।
राज्य में भाजपा पर कांग्रेस की ज़बरदस्त बढ़त के दो और भी कारण हैं। एक तो यह कि राहुल गाँधी द्वारा कन्याकुमारी से कश्मीर तक तय की गयी भारत जोड़ो यात्रा, हरियाणा से होकर गुज़री थी। इस यात्रा ने न केवल राज्य के मतदाताओं पर अपना प्रभाव छोड़ा था बल्कि राज्य के कांग्रेस जनों में भी जोश व उत्साह का संचार किया था। जिसका नतीजा लोकसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के रूप में सामने भी आया।
अब जहां कांग्रेस 5 लोकसभा सदस्यों की जीत के साथ बुलंद हौसले से चुनाव मैदान में है वहीं भाजपा जिताऊ उम्मीदवार मैदान में उतारने के चक्कर में न केवल कई दलबदलुओं को भाजपा प्रत्याशी बना रही है बल्कि परिवारवाद के विरुद्ध लंबे चौड़े प्रवचन देने के बावजूद ख़ुद भी कई परिवारवादी सूरमाओं पर दांव लगा रही है। क्योंकि भाजपा को अपने दल में योग्य व जिताऊ नेताओं की कमी महसूस हो रही है। इसी उधेड़बुन में भाजपा ने पिछले दिनों राज्य में 67 पार्टी प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की उसमें रणजीत चौटाला जैसे मंत्री सहित 9 वर्तमान विधायकों के टिकट काट दिए गए।
परिणाम स्वरूप भाजपा में पद व दल से नेताओं के इस्तीफ़े की झड़ी लग गयी। इस भगदड़ में कोई भाजपाई किसी दूसरे दल में टिकट के लिए ताकझांक कर रहा है तो कोई निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर अपनी भाजपा को ही उसकी औक़ात बताने के मूड में है। वैसे भी भाजपा ने जिस समय चुनाव आयोग से पहले घोषित की गयी 1 अक्टूबर की चुनाव तिथि को टालने की मांग की थी उसी समय राज्य के लोगों को यह सन्देश चला गया था कि भाजपा चुनाव से घबरा रही है। अब 5 अक्टूबर की नई चुनाव तिथि निर्धारित होने पर भी लोगों का यही कहना है कि तिथि बदलने से लोगों की धारणा व उनका मन नहीं बदलने वाला।
राज्य में भाजपा की उल्टी हवा का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि स्वयं मुख्यमंत्री नायब सैनी जो पिछली विधानसभा में नारायणगढ़ क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, उन्होंने विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही अपने विधानसभा क्षेत्र नारायणगढ़ में रोड शो आयोजित किया था। इस रोड शो का ज़बरदस्त प्रचार किया गया। फ़ोन पर भी मुख्यमंत्री नायब सैनी की आवाज़ में आम लोगों को निमंत्रण भेजा गया। परन्तु इस रोड शो में अपेक्षा से कहीं कम लोग शरीक हुए। उसके बाद ही सैनी को करनाल से चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा चली। परन्तु जब पहली सूची सामने आयी तो पता चला कि मुख्यमंत्री नायब सैनी को पार्टी लाडवा से चुनाव लड़ा रही है। गोया मुख्यमंत्री तक को अपने लिए सुरक्षित सीट तलाश करने में मुश्किल हो रही है।
हाँ कांग्रेस को जो भी नुक़्सान हो सकता है वह पार्टी की भीतरी गुटबाज़ी से या फिर टिकट बंटवारे में बरती जाने वाली असावधानियों से। क्योंकि इस समय राज्य की कई विधानसभा सीटें ऐसे भी हैं जहाँ सौ-सौ नेता टिकट के लिए दावे पेश कर रहे हैं। कांग्रेस का ऊँचा ग्राफ़ देखकर अनेक दलबदलू भी कांग्रेस में ही पनाह ले रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस स्वयं अपने ही बोझ तले तो दब सकती है परन्तु उसने भाजपा को तो बैक फ़ुट पर धकेल ही दिया है।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement