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हाजीपुर : पशुपति के सामने रामविलास पासवान की विरासत बचाने की चुनौती
हाजीपुर । चीनिया केला के लिए प्रसिद्घ बिहार का हाजीपुर संसदीय क्षेत्र दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले वैशाली जिले का हिस्सा है। गंगा और गंडक नदियों के संगम वाला यह क्षेत्र शुरू से ही समाजवादियों के प्रभाव वाला क्षेत्र माना गया है। इस कारण यहां चुनाव कई मुद्दों पर लड़े जाते रहे हैं। इस चुनाव में न केवल इस संसदीय क्षेत्र पर पूरे देश की नजर है, बल्कि कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र का परिणाम परिवारवाद की राजनीति पर भी बहस का विषय बनेगा।
इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने यहां से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा है। वहीं, विपक्षी दलों के महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता शिवचंद्र राम को प्रत्याशी बनाया है। यहां से कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच माना जा रहा है। 18.17 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजापाकर, राघोपुर तथा महनार विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
हाजीपुर संसदीय क्षेत्र 1952 में सारण सह चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। वर्ष 1957 में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया। 1957 से 1971 तक यह क्षेत्र केसरिया संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पिछले चुनाव में यहां से रामविलास पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव कुमार टोनी को पराजित कर आठवीं बार हाजीपुर से जीत दर्ज की थी।
पासवान को 4,55,652 मत मिले थे, जबकि टोनी को 2,30,152 मत मिले थे। वर्ष 1977 में रामविलास ने यहां से रिकार्ड वोटों से जीतकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया था। इस चुनाव में हालांकि परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। पिछले चुनाव में राजग में रालोसपा थी, जबकि जद (यू) अलग थी। लेकिन, इस चुनाव में रालोसपा महागठबंधन के साथ है, और जद (यू) राजग में है। लोजपा को इस चुनाव में जहां पासवान जाति के आधार वोट, भाजपा और जद (यू) के काडर वोट और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भरोसा है, वहीं राजद प्रत्याशी को अपने सामाजिक समीकरण से चुनावी वैतरणी पार करने का विश्वास है।
इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने यहां से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा है। वहीं, विपक्षी दलों के महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता शिवचंद्र राम को प्रत्याशी बनाया है। यहां से कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच माना जा रहा है। 18.17 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजापाकर, राघोपुर तथा महनार विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
हाजीपुर संसदीय क्षेत्र 1952 में सारण सह चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। वर्ष 1957 में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया। 1957 से 1971 तक यह क्षेत्र केसरिया संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पिछले चुनाव में यहां से रामविलास पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव कुमार टोनी को पराजित कर आठवीं बार हाजीपुर से जीत दर्ज की थी।
पासवान को 4,55,652 मत मिले थे, जबकि टोनी को 2,30,152 मत मिले थे। वर्ष 1977 में रामविलास ने यहां से रिकार्ड वोटों से जीतकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया था। इस चुनाव में हालांकि परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। पिछले चुनाव में राजग में रालोसपा थी, जबकि जद (यू) अलग थी। लेकिन, इस चुनाव में रालोसपा महागठबंधन के साथ है, और जद (यू) राजग में है। लोजपा को इस चुनाव में जहां पासवान जाति के आधार वोट, भाजपा और जद (यू) के काडर वोट और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भरोसा है, वहीं राजद प्रत्याशी को अपने सामाजिक समीकरण से चुनावी वैतरणी पार करने का विश्वास है।
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