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राजस्थान के भ्रष्ट अफसरों को बचा रही गहलोत सरकार, आरटीआई सूचना देने से भी गुरेज
जयपुर। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खुलकर आरोप लगा रहे हैं कि गहलोत सरकार भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार की जांच तक नहीं करवा रही है। गहलोत सरकार के ही राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा सार्वजनिक मंच से खुलेआम आरोप लगा रहे हैं कि इस सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के ऑफिस से बिना पैसे कोई फाइल नहीं निकलती। पूर्व मंत्री भरतसिंह कुंदनपुर लगातार का खान मंत्री प्रमोद जैन भाया के भ्रष्टाचार के मामले उठा रहे हैं।
इन दावों में हकीकत इसलिए नजर आती है कि गहलोत सरकार भ्रष्ट अफसरों को लेकर आरटीआई में सूचना देने से भी गुरेज कर रही है।हाल ही कार्मिक विभाग और राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी कि वर्ष 2018 से 2023 तक राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अखिल भारतीय सेवा और राज्य सेवा के कितने अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार अथवा आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए हैं। ब्यूरो द्वारा कितने प्रकरणों में राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति चाही गई है। संबंधित अधिकारियों के नाम और पदनाम समेत विवरण उपलबध कराएं। राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार से संबंधित कितने मामलों में अभियोजन स्वीकृति दिए जाने से इनकार किया है। ऐसे अधिकारियों का नाम, पदनाम और कारण सहित विवरण उपलब्ध कराएं। राज्य सरकार के स्तर पर ऐसे कितने प्रकरण पेंडिंग हैं जिनमें अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दिया जाना प्रस्तावित है। कारणों समेत विवरण उपलब्ध कराएं।
लेकिन, कार्मिक विभाग ने यह कहकर सूचना देने से इनकार कर दिया कि चाही गई सूचना की प्रकृति तीसरे पक्ष से संबंधित है। इसलिए यह सूचना नहीं दी जा सकती। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी सूचना देने से यह कहकर इनकार कर दिया कि सूचना के लिए प्रकऱण संख्या अंकित करें।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सी. पी. जोशी ने 3 जून को मीडिया में दावा किया था कि कांग्रेस सरकार आने के बाद एसीबी ने पिछले साढ़े 4 वर्षों में भ्रष्टाचार के सैकड़ों मामले दर्ज किए। लेकिन 500 से ज्यादा मामले ऐसे हैं जिनमें रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के बावजूद सरकार से उन अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही। सिर्फ 13 मामलों में अभियोजन स्वीकृति जारी हुई है। जबकि 29 प्रकरणों में सरकार ने अभियोजन स्वीकृति दिए जाने से साफ इनकार कर दिया। यह भ्रष्ट अफसरों को बचाना नहीं है तो और क्या है।
भ्रष्ट अफसरों को सिर्फ पकड़ना ही काफी नहीं, सजा भी मिलनी चाहिएः
वहीं भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह रहे हैं कि उनके कार्यकाल में 65 बड़े अफसरों को पकड़ा गया है। भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की है। लेकिन, सवाल यह है कि जिन भ्रष्ट अफसरों को पकड़ा गया, उनमें से सजा कितनों को मिली। उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति सरकार क्यों नहीं दे रही अथवा दे रही है तो उस सूचना को सार्वजनिक किए जाने में परेशानी क्या है। भ्रष्ट अफसरों की सूचना तो सार्वजनिक होनी ही चाहिए। आरटीआई में भी सूचना नहीं देकर ऐसे अफसरों को क्यों बचाया जा रहा है। वह भी तब जबकि एसीबी किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को तब तक नहीं पकड़ती, जब तक कि प्रारंभिक सूचना की खुद पुष्टि नहीं कर लेती। एसीबी खुद मुख्यमंत्री के अधीन है। ऐसे में पारदर्शिता रखते हुए भ्रष्ट अफसरों की सूचना सार्वजनिक की जानी चाहिए।
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