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यूडी टैक्स के नाम पर गहलोत सरकार हो रही बदनाम, लोगों को गलत बिल बांट रही प्राइवेट कंपनी

khaskhabar.com : गुरुवार, 23 मार्च 2023 2:15 PM (IST)
यूडी टैक्स के नाम पर गहलोत सरकार हो रही बदनाम, लोगों को गलत बिल बांट रही प्राइवेट कंपनी
नगर निगम दिए जा रहा है कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने और पेनल्टी के नोटिस
स्वायत्त शासन निदेशालय के अफसर निजी स्वार्थों की खातिर नए टेंडर देने पर तुले
जयपुर। नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) की वसूली में स्वायत्त शासन विभाग की मिलीभगत से प्राइवेट कंपनी खेल कर रही है। मनमानी तरीके से बांटे जा रहे यूडी टैक्स के बिलों से ना केवल आम लोग परेशान हैं, बल्कि बड़े संस्थान भी परेशान हैं। जिन पर संस्थानिक दरों से टैक्स लगना चाहिए, उन पर कामर्शियल दर से लगाया जा रहा है। इसी तरह 300 वर्गगज से कम क्षेत्रफल वाली जिन आवासीय संपत्तियों पर टैक्स बिलकुल नहीं लगना चाहिए, उन्हें भी टैक्स के बिल बांटे जा रहे हैं। इससे दोनों नगर निगमों को भी करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। क्योंकि पिछले 3 साल से कंपनी टैक्स वसूली के लक्ष्य पूरे ही नहीं कर पा रही है।
दोनों नगर निगमों का दुर्भाग्य यह है कि डिस्कॉम ने 251.84 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया निकाल दिया है। लेकिन, दोनों नगर निगगम स्पैरो कंपनी को काम देने के 3 साल बाद भी ना तो टैक्स योग्य संपत्तियों का मौका सर्वे पूरा करवा पाए हैं और ना ही पहले से उपलब्ध पुराने सर्वे डाटा के आधार पर तय गाइड लाइन के मुताबिक यूडी टैक्स के बिल वितरित करवा पा रहे हैं।
हालत यह है कि टैक्स वसूली कंपनी के पास अनुभव की कमी का खामियाजा जयपुर के अस्पताल, छोटे दुकानदारों औऱ 300 वर्गगज तक के क्षेत्रफल वाली आवासीय परिसरों के मालिकों को उठाना पड़ रहा है। क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 300 वर्गगज से कम क्षेत्रफल वाली रिहायशी एवं संस्थानिक एवं जिनमें 900 वर्गफुट तक व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, पर नगरीय विकास कर में 100 प्रतिशत की छूट दी हुई है। लेकिन, ऐसी संपत्तियों को भी टैक्स के बिल दिए जा रहे हैं। जानकारी के अभाव में कुछ लोग टैक्स जमा करवा चुके हैं। अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि एक बार जमा होने के बाद टैक्स का पैसा वापस लेना आसान काम नहीं है।
इन उदाहरणों से समझिए यूडी टैक्स बिलों में गड़बड़ियांः
जयपुर मैरिएट होटल का कुल बिल सामान्य औद्योगिक दर से 2 लाख 1 हजार रुपए ही है। जबकि होटल पैराडाइज जो 4-5 स्टार श्रेणी में है, का बिल 19442 रुपए दर्शाया है। सांगानेर में संगम सिनेमा चौरडिया पेट्रोल पंप से डिग्गी रोड की व्यावसायिक दर ही कम कर दी। अंकुर सिनेमा को टैक्स बिल में मुख्य सड़क की दर लगाई गई है। लेकिन, इसे बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। गोलछा सिनेमा का बिल शून्य कर दिया है। एयरपोर्ट का एऱिया केवल 29 हैक्टेयर दिखाते हुए व्यावसायिक दर से एयरपोर्ट अथॉरिटी को बिल थमा दिया। जबकि इसका वास्तविक एरिया सैकड़ों एकड़ में है। जबकि अधिसूचना 2016 के मुताबिक एयरपोर्ट पर संस्थानिक दर लगनी चाहिए थी। इसी तरह टोंक रोड पर खंडाका अस्पताल को व्यावसायिक दर का बिल भेज दिया गया। ऐसी तमाम शिकायतें रोजाना नगर निगम को मिल रही हैं।
क्या नगर निगम यूडी टैक्स के अनुमान भी सही नहीं लगा पाएः
अरबन सेक्टर स्पेशलिस्ट के मुताबिक प्रदेश की राजधानी होने के कारण जयपुर शहर में कम से कम 300 से 400 करोड़ रुपए के यूडी टैक्स की वसूली होनी चाहिए थी। लेकिन, नगर निगम (हैरिटेज) बकाया 270 करोड़ रुपए में से केवल 28 करोड़ रुपए ही इकट्ठा कर पाई। आदर्श नगर, सिविल लाइंस, हवामहल और किशनपोल में टैक्स के 270 करोड़ रुपए बकाया के लक्ष्य को ही 55.25 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसमें से भी केवल 28 करोड़ रुपए ही वसूल पाए। इसमें करीब 20 प्रतिशत यानि 5-5 करोड़ रुपए विज्ञापन शुल्क के शामिल हैं। जबकि यह पैसा अलग होना चाहिए। नगर निगम ग्रेटर की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है। टैक्स जमा नहीं होने का मूल कारण प्रॉपर्टी धारकों को गल बिल मिलना है। खास खबर डॉट कॉम को कई प्रॉपर्टी धारकों से इस तरह की शिकायतें मिली हैं। चुनावी साल में यूडी टैक्स के गलत बिल वितरण होने का नुकसान कांग्रेस सरकार को भी होगा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा विधायक के इशारे पर ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है।
टैक्स की कम वसूली पर सिर्फ दिए जा रहे नोटिसः
इधर, यूडी टैक्स और विज्ञापन शुल्क की वसूली के टारगेट पूरे नहीं करने के कारण नगर निगमों की ओर से लगातार प्राइवेट कंपनी स्पैरो सॉफ्टटेक को नोटिस दिए जा रहे हैं। पेनल्टी लगाए जाने और ब्लैकलिस्ट किए जाने की चेतावनी तक दी जा रही है। लेकिन, भाजपा नेताओं के संरक्षण और स्वायत्त शासन निदेशालय के दवाब के कारण नगर निगम कंपनी पर कोई एक्शन नहीं ले पा रहे हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज एफआईआऱ भी दरकिनारः
टैक्स वसूली में निजी कंपनी स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लिमिटेड के दो कर्मचारियों के 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज एफआईआर संख्या 356/2022 दिनांक 10 सितंबर, 2022 को भी नजरअंदाज कर दिया गया। नगर निगम आयुक्त महेंद्र सोनी ने 15 मार्च, 2023 को नोटिस देकर कहा है कि क्यों ना कंपनी को इस काम के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए। क्योंकि इससे नगर निगम की छवि धूमल हुई है। क्योंकि अगर कंपनी का कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी भ्रष्टाचार जैसी गतिविधि में लिप्त पाया जाता है तो 3 मार्च, 2020 को हुए अनुबंध के आर्टिकल 17(B) के तहत टर्मिनेशन की कार्यवाही और आर्टिकल 21 (G) के तहत अनुबंध रद्द करके कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।

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