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कैंसर से पीड़ित पूर्व विधायक सुखलाल ने चुन ली मौत
पीलीभीत। बड़खेड़ा से भाजपा के पूर्व विधायक सुखलाल ने रविवार सुबह निजी
रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। उनकी आत्महत्या के समाचार से सनसनी फैल
गई।भाजपा के पूर्व विधायक सुखलाल लगभग 62 बर्ष के थे। वे लम्बे समय से
कैंसर से पीड़ित थे। जिसके चलते वे काफी समय से तनाव में थे। वे सुनगढ़ी थाना
क्षेत्र की वसुन्धरा कालोनी में रह रहे थे। पुलिस पूरे मामले की जाँच में
जुटी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
परिजनों ने जो पुलिस को बताया उसके अनुसार सुखलाल रविवार को सुबह रोजाना की भांति लगभग छह बजे अखबार पढ़ रहे थे।अचानक वे शून्य में देखने लगे। जब पत्नी ने पूछा तो वे सामान्य होते हुए वोले चाय ले आओ, और बेटी से दूसरा अखबार लाने को कहा। दोनों के हटते ही उन्होंने अपने रिवाल्वर से गोली मारकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया।सुखलाल वर्ष 2007 से 2012 तक बरखेड़ा विधानसभा सीट से भजपा से विधायक रहे थे। ये सीट उन्हें विरासत में मिली थी। उनके पिता किशनलाल जनसंघ के जमाने से ही इसी सुरक्षित सीट पर 7 बार विधायक रहे। जिसके कारण यह जिले का सबसे लम्बे समय तक जनप्रतिनिधि रहने वाला घराना रहा।
सुखलाल पूर्व में इलाहाबाद बैंक के मैनेजर रहे थे। पिता किशनलाल की मृत्यु के बाद बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर वे राजनीति में उतरे और पहली ही बार में विधानसभा पहुँचे थे। उनकी मौत के बाद क्षेत्र में शोक की लहर है।राजनीतिक गलियारों से ये भी सूचना थी कि पिछले लंबे अरसे से सुखलाल राजनीति जमीन खोज रहे थे पर उन्हें अच्छा मुकाम मिल नही पा रहा था। इसका मलाल भी उनमें कही था। उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों में इस बीच प्रयास भी किये थे। चुनाव के बीच टिकट पाने के लिए भी उन्होंने कई पार्टियों में जोर भी लगाया था।
परिजनों ने जो पुलिस को बताया उसके अनुसार सुखलाल रविवार को सुबह रोजाना की भांति लगभग छह बजे अखबार पढ़ रहे थे।अचानक वे शून्य में देखने लगे। जब पत्नी ने पूछा तो वे सामान्य होते हुए वोले चाय ले आओ, और बेटी से दूसरा अखबार लाने को कहा। दोनों के हटते ही उन्होंने अपने रिवाल्वर से गोली मारकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया।सुखलाल वर्ष 2007 से 2012 तक बरखेड़ा विधानसभा सीट से भजपा से विधायक रहे थे। ये सीट उन्हें विरासत में मिली थी। उनके पिता किशनलाल जनसंघ के जमाने से ही इसी सुरक्षित सीट पर 7 बार विधायक रहे। जिसके कारण यह जिले का सबसे लम्बे समय तक जनप्रतिनिधि रहने वाला घराना रहा।
सुखलाल पूर्व में इलाहाबाद बैंक के मैनेजर रहे थे। पिता किशनलाल की मृत्यु के बाद बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर वे राजनीति में उतरे और पहली ही बार में विधानसभा पहुँचे थे। उनकी मौत के बाद क्षेत्र में शोक की लहर है।राजनीतिक गलियारों से ये भी सूचना थी कि पिछले लंबे अरसे से सुखलाल राजनीति जमीन खोज रहे थे पर उन्हें अच्छा मुकाम मिल नही पा रहा था। इसका मलाल भी उनमें कही था। उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों में इस बीच प्रयास भी किये थे। चुनाव के बीच टिकट पाने के लिए भी उन्होंने कई पार्टियों में जोर भी लगाया था।
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