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धान की खरीद नहीं होने से किसानों को बड़ा भारी नुकसान हो रहा हैः बजरंग गर्ग

हिसार। हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने किसान और आढ़तियों से बातचीत करने के उपरांत कहा कि सरकार द्वारा किसानों की पी. आर. धान की सरकारी खरीद एमएसपी. पर ना करने से किसानों को बड़ा भारी नुकसान हो रहा है। किसान 15 दिन से धान मंडी में बेचने के लिए धक्के खा रहा है।
उन्होंने कहा कि धान की सरकारी खरीद ना होने से किसान अपनी धान को मजबूरी में 1700 रुपए से लेकर 1850 रुपए प्रति क्विंटल तक बेच रहा है, जिसके कारण किसानों को बड़ा भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह सरकार पूरी तरह से किसान व आढ़ती विरोधी सरकार है। इस राज में किसान व आढ़ती बर्बादी की कगार पर है।
बजरंग गर्ग ने कहाकि सरकार की हिदायतों के अनुसार किसानों ने धान की फसल लगाई थी, जो समय पर पक कर तैयार होने के बावजूद सरकार द्वारा धान की खरीद ना करने से किसान व आढ़तियों में बड़ी भारी नाराजगी है। सरकार को 1 अक्टूबर 2023 की बजाएं तुरंत प्रभाव से किसानों की पी.आर. धान की खरीद मंडियों में शुरू करनी चाहिए।
मंडियों में खुले आसमान के नीचे किसान की हजारों क्विंटल धान पड़ी है। बेमौसमी बारिश होने से किसान का धान खराब हो रहा है। जबकि सरकार की तरफ से मंडियों में धान खरीद के लिए किसी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। मंडियों की सड़कें टूटी पड़ी है ना ही साफ-सफाई की व्यवस्था है, और किसानों के लिए किसान भवन में ठहरने के लिए कोई उचित व्यवस्था तक नहीं है।
भाजपा सरकार तो सिर्फ पोर्टल की सरकार है। यह सरकार सिर्फ किसान व आढ़तियों के साथ पोर्टल-पोर्टल खेल रही है। बजरंग गर्ग ने कहा कि किसान की पी.आर. धान जो कम दामों में बिक रही है, उसके नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए। जब सरकार भावांतर योजना के तहत किसान की फसल की भरपाई करने की बात कर रही है तो सरकार को किसानों के धान के नुकसान को भी पूरा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि धान की सरकारी खरीद ना होने से किसान अपनी धान को मजबूरी में 1700 रुपए से लेकर 1850 रुपए प्रति क्विंटल तक बेच रहा है, जिसके कारण किसानों को बड़ा भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह सरकार पूरी तरह से किसान व आढ़ती विरोधी सरकार है। इस राज में किसान व आढ़ती बर्बादी की कगार पर है।
बजरंग गर्ग ने कहाकि सरकार की हिदायतों के अनुसार किसानों ने धान की फसल लगाई थी, जो समय पर पक कर तैयार होने के बावजूद सरकार द्वारा धान की खरीद ना करने से किसान व आढ़तियों में बड़ी भारी नाराजगी है। सरकार को 1 अक्टूबर 2023 की बजाएं तुरंत प्रभाव से किसानों की पी.आर. धान की खरीद मंडियों में शुरू करनी चाहिए।
मंडियों में खुले आसमान के नीचे किसान की हजारों क्विंटल धान पड़ी है। बेमौसमी बारिश होने से किसान का धान खराब हो रहा है। जबकि सरकार की तरफ से मंडियों में धान खरीद के लिए किसी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। मंडियों की सड़कें टूटी पड़ी है ना ही साफ-सफाई की व्यवस्था है, और किसानों के लिए किसान भवन में ठहरने के लिए कोई उचित व्यवस्था तक नहीं है।
भाजपा सरकार तो सिर्फ पोर्टल की सरकार है। यह सरकार सिर्फ किसान व आढ़तियों के साथ पोर्टल-पोर्टल खेल रही है। बजरंग गर्ग ने कहा कि किसान की पी.आर. धान जो कम दामों में बिक रही है, उसके नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए। जब सरकार भावांतर योजना के तहत किसान की फसल की भरपाई करने की बात कर रही है तो सरकार को किसानों के धान के नुकसान को भी पूरा करनी चाहिए।
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