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गुरुग्राम में फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 7 लोग गिरफ्तार

गुरुग्राम, । गुरुग्राम पुलिस की साइबर
अपराध टीम ने एक फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है, जो सेक्टर
67 क्षेत्र से संचालित हो रहा था। इस सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार
किया गया है। आरोप है कि वे तकनीकी सहायता के नाम पर विदेशी नागरिकों को
ठगते थे।
एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि वे ज्यादातर पेपाल, अमेजन और नॉर्टन
के तकनीकी सहायता प्रतिनिधि बनकर नकली ईमेल भेजकर ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका
के विदेशी नागरिकों को निशाना बनाता था।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मोहम्मद जफर इकबाल (38), नूर हुसैन (28), सुमित (32), अभिषेक मिश्रा (30), शेख इब्राहिम (28), अभिषेक गुप्ता (35) और मोहम्मद आदिल (32) के रूप में हुई है।
एसीपी (साइबर अपराध) विपिन अह्लावत ने कहा, सभी संदिग्धों को बिना किसी वैध लाइसेंस के अवैध रूप से कॉल सेंटर चलाने के लिए आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत लगाए गए आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे पीड़ितों को बताते थे कि उनसे फोन या अन्य सेवाएं खरीदने के लिए गलत तरीके से शुल्क लिया गया है और वे सेवा शुल्क के रूप में 200 से 500 डॉलर के बदले उनका पैसा वापस करने में उनकी मदद करेंगे।
संदिग्ध पीड़ितों को उनके कंप्यूटर सिस्टम में (एनी डेस्क) जैसे रिमोट एक्सेस ऐप इंस्टॉल करने के लिए मनाने के बाद उन्हें धोखा देने के लिए उनके बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड का विवरण प्राप्त करते थे।
पूछताछ में पता चला कि सभी आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और सभी के पास अलग-अलग स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री थी।
--आईएएनएस
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मोहम्मद जफर इकबाल (38), नूर हुसैन (28), सुमित (32), अभिषेक मिश्रा (30), शेख इब्राहिम (28), अभिषेक गुप्ता (35) और मोहम्मद आदिल (32) के रूप में हुई है।
एसीपी (साइबर अपराध) विपिन अह्लावत ने कहा, सभी संदिग्धों को बिना किसी वैध लाइसेंस के अवैध रूप से कॉल सेंटर चलाने के लिए आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत लगाए गए आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे पीड़ितों को बताते थे कि उनसे फोन या अन्य सेवाएं खरीदने के लिए गलत तरीके से शुल्क लिया गया है और वे सेवा शुल्क के रूप में 200 से 500 डॉलर के बदले उनका पैसा वापस करने में उनकी मदद करेंगे।
संदिग्ध पीड़ितों को उनके कंप्यूटर सिस्टम में (एनी डेस्क) जैसे रिमोट एक्सेस ऐप इंस्टॉल करने के लिए मनाने के बाद उन्हें धोखा देने के लिए उनके बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड का विवरण प्राप्त करते थे।
पूछताछ में पता चला कि सभी आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और सभी के पास अलग-अलग स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री थी।
--आईएएनएस
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