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रेलकोच एडमिन बिल्डिंग में सफाई कर्मियों का हो रहा जमकर शोषण
रायबरेली।
लालगंज आधुनिक रेचकोच कारखाने की एडमिन बिल्डिंग मे ठेकेदारी प्रथा के रूप
मे काम करने वाले सफाई कर्मियों का संबंधित फर्म अनुपम इण्टरप्राइजेज लखनऊ
के द्वारा जमकर शोषण किया जा रहा है। वहीं रेलकोच के अधिकारियों का कहना
है कि जब तक शिकायत नही प्राप्त होगी तब तक हम कुछ नही कर सकते। शोषण से
आजिज आकर मंगलवार को कई सफाई कर्मियों ने झाडू पंजा
रखकर एडमिन बिल्डिंग के स्टैण्ड पर धरने मे बैठ गये।सफाई कर्मियों के धरने
पर बैठने की सूचना पाकर सिविल विभाग व हाउसकीपिंग का कार्य देखने वाले
अधिकारियों के हाथ पांव फूल गये।सिविल विभाग के अधिषाशी अभियन्ता घनश्याम
चौरसिया व उनके अधीनस्थ हरीश कुमार ने मौके पर पहुंचकर सफाई कर्मियों को
अति शीघ्र वेतन दिलाने की बात कहकर हड़ताल समाप्त कराया।
वहीं सफाई कर्मियो ने बताया कि ठेकेदार कम्पनी अनुुपम इण्टर प्राइजेज के मालिक व सुपर वाइजर मनोज कुमार वेतन मांगने पर नौकरी से निकालने की धमकी देता है।दो से तीन माह का वेतन सफाई कर्मियों का बाकी है।सभी को एक साथ वेतन नहीं देता था।सफाई कर्मियों की माने तो प्रत्येक सफाई कर्मचारी से 500 से लेकर 1500 रूपये तक वेतन से वसूली भी की जाती है।जिस कर्मचारी के खाते में छः हजार भेजे जाते है,उससे 1500 रूपये वापस ठेकेदार का सुपरवाइजर मनोज ले लेता है।जिनके खाते मे पांच हजार रूपये भेजे जाते है उनसे पांच सौ रूपये की वसूली की जाती है।वहीं उल्लेखनीय यह भी है कि ठेकेदार कम्पनी द्वारा 150 रूपये प्रति दिन के हिसाब से सफाई कर्मियों को मजदूरी दी जाती है।लेकिन गैर हाजिर होने पर दो सौ रूपये दिहाडी के हिसाब से काटा जाता है।ऐसे मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत से भ्रष्टाचार को दूर करने के मुकाम को कैसे सफलता हासिल होगी।न खाएंगे न खाने देंगे का नारा रेलकोच के ऊपर कोई असर डालता नहीं दिखायी पड रहा है।खासतौर से रेलकोच महाप्रबंधक की नाक के नीचे लाखों के भ्रष्टाचार के साथ साथ सफाई कर्मियों का शोषण किया जाना रेल मंत्रालय के मुंह पर कालिख पोतने का काम कर रहा है।अब देखिये कब सफाई कर्मियों को इस शोषण से निजात मिलती है।काश एसी में बैठने वाले अधिकारियों को गरीब सफाई कर्मियों का दर्द दिखायी पड़ेऔर उनको इस शोषण से निजात मिल सके।
वहीं सफाई कर्मियो ने बताया कि ठेकेदार कम्पनी अनुुपम इण्टर प्राइजेज के मालिक व सुपर वाइजर मनोज कुमार वेतन मांगने पर नौकरी से निकालने की धमकी देता है।दो से तीन माह का वेतन सफाई कर्मियों का बाकी है।सभी को एक साथ वेतन नहीं देता था।सफाई कर्मियों की माने तो प्रत्येक सफाई कर्मचारी से 500 से लेकर 1500 रूपये तक वेतन से वसूली भी की जाती है।जिस कर्मचारी के खाते में छः हजार भेजे जाते है,उससे 1500 रूपये वापस ठेकेदार का सुपरवाइजर मनोज ले लेता है।जिनके खाते मे पांच हजार रूपये भेजे जाते है उनसे पांच सौ रूपये की वसूली की जाती है।वहीं उल्लेखनीय यह भी है कि ठेकेदार कम्पनी द्वारा 150 रूपये प्रति दिन के हिसाब से सफाई कर्मियों को मजदूरी दी जाती है।लेकिन गैर हाजिर होने पर दो सौ रूपये दिहाडी के हिसाब से काटा जाता है।ऐसे मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत से भ्रष्टाचार को दूर करने के मुकाम को कैसे सफलता हासिल होगी।न खाएंगे न खाने देंगे का नारा रेलकोच के ऊपर कोई असर डालता नहीं दिखायी पड रहा है।खासतौर से रेलकोच महाप्रबंधक की नाक के नीचे लाखों के भ्रष्टाचार के साथ साथ सफाई कर्मियों का शोषण किया जाना रेल मंत्रालय के मुंह पर कालिख पोतने का काम कर रहा है।अब देखिये कब सफाई कर्मियों को इस शोषण से निजात मिलती है।काश एसी में बैठने वाले अधिकारियों को गरीब सफाई कर्मियों का दर्द दिखायी पड़ेऔर उनको इस शोषण से निजात मिल सके।
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