Every person should remain connected to his mother tongue, only then development will take place: Dr. Mangat Badal-m.khaskhabar.com
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प्रत्येक मनुष्य को अपनी मातृभाषा से जुड़े रहने चाहिए, तभी विकास हो पाएगाः डॉ. मंगत बादल

khaskhabar.com : रविवार, 24 सितम्बर 2023 09:16 AM (IST)
प्रत्येक मनुष्य को अपनी मातृभाषा से जुड़े रहने चाहिए, तभी विकास हो पाएगाः डॉ. मंगत बादल
श्रीगंगानगर। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा है कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी मातृभाषा का महत्व पता होना चाहिए। अपनी मातृभाषा के लिए प्रयास करना चाहिए। अगर वह अपनी मातृभाषा से जुड़ा रहेगा, तो अपनी जड़ों से जुड़ा रहेगा। तभी उसका विकास हो पाएगा।

वे शनिवार को चौधरी बल्लूराम गोदारा राजकीय कन्या महाविद्यालय के सभागार में साहित्य अकादमी, नई दिल्ली एवं सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर के संयुक्त तत्वावधान में समकालीन राजस्थानी साहित्य पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि यहां राजस्थानी कार्यक्रम करवाने का उद्देश्य भी यही है कि नई पीढ़ी अपनी भाषा को जान सके। उन्होंने उपस्थित छात्राओं और अन्य लोगों से कहा कि वे जनगणना में अपनी मातृभाषा राजस्थानी अवश्य लिखवाएं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अकादमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक डॉ. अर्जुनदेव चारण ने कहा कि समकालीन राजस्थानी साहित्य महज एक शब्द मात्र नहीं है। संकट इस बात है कि हम समकालीन किसे मानें और किसे नहीं मानें। काल की अवधारणा को जानना है तो हमें बहुत गहराई से सोचना और समझना होगा।
उन्होंने कहा कि समकालीन राजस्थानी साहित्य के बहाने हम इन दो दिनों में यह जानने का प्रयास करेंगे कि समकालीन कहानी, उपन्यास और अन्य विधाओं में क्या और क्यों रचा जा रहा है और समय को देखते हुए इसमें क्या नया करने की जरूरत है। इससे पहले उपस्थित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी के सहायक संपादक ज्योतिकृष्ण वर्मा ने राजस्थानी साहित्य के इतिहास पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में भी राजस्थानी साहित्यकारों का योगदान रहा। सृजन सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया 'ताइर' ने आभार जताते हुए कहाकि भाषाएं सभी अपनी होती हैं। व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिएं। सत्र का संचालन कृष्णकुमार आशु ने किया। पहला सत्र समकालीन राजस्थानी कविता पर हुआ। इसकी अध्यक्षता कोटा से आए साहित्यकार अम्बिकादत्त ने की।
पत्रवाचन जोधपुर से डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित व बीकानेर से आशीष पुरोहित ने किया। संचालन डॉ. बबीता काजल ने किया। दूसरे सत्र में समकालीन राजस्थानी कहानी पर चर्चा हुई। इसमें अध्यक्षता श्रीडूंगरगढ़ के साहित्यकार डॉ. चेतन स्वामी ने की। पत्रवाचन परलीका से डॉ. सत्यनारायण सोनी एवं बीकानेर से आए संजय पुरोहित ने किया। संचालन सुरेंद्र सुंदरम ने किया। शाम को समकालीन राजस्थानी उपन्यास विषयक तीसरे सत्र की अध्यक्षता नोहर के उपन्यासकार डॉ. भरत ओला ने की।
पत्रवाचन बीकानेर के नगेंद्र किराड़ू एवं डूंगरपुर के दिनेश पंचाल का था। संचालन सत्यपाल जोइया ने किया। इन दोनों सत्रों में कहानी और उपन्यास को लेकर खूब मंथन हुआ। रविवार को सुबह साढ़े दस बजे चौथा सत्र समकालीन राजस्थानी नाटक, निबंध और आलोचना विषय पर होगा। अध्यक्षता स्थानीय साहित्यकार डॉ. पी.सी. आचार्य करेंगे।
पत्रवाचन आलोचक डॉ. आशाराम भार्गव, साहित्यकार डॉ. कृष्णकुमार 'आशु' एवं बीकानेर के साहित्यकार हरीश बी. शर्मा करेंगे। दोपहर 12.30 बजे पांचवां सत्र समकालीन राजस्थानी युवा, महिला और बालसाहित्य विषय पर होगा। इसकी अध्यक्षता जोधपुर के मीठेश निर्माेही करेंगे।
पत्रवाचन जयपुर के युवा लेखक राजेंद्रदान देथा, स्थानीय आलोचक डॉ. नवजोत भनोत एवं रायसिंहनगर की बाल साहित्य रचनाकार किरण बादल करेंगी। समापन समारोह अपराह्न तीन बजे होगा। इसमें मुख्य अतिथि बीकानेर से मधु आचार्य 'आशावादी' होंगे। अध्यक्षता डॉ. अर्जुनदेव चारण करेंगे।

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