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सदमें में है देवरिया नरसंहार में बचा आठ साल का बच्चा
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब लड़के को अस्पताल लाया गया तो वह अर्धबेहोशी की हालत में था। जब डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा रहे थे, तो वह बार-बार "पापा" कहता रहा।
पुलिस अधिकारी ने कहा, हमले के दिन लड़के का परिवार सुबह नाश्ते की तैयारी कर रहा था। इसी बीच अचानक लड़के के पिता सत्य प्रकाश मदद के लिए चिल्लाने लगे। लड़के की सबसे बड़ी बहन 18 वर्षीय सलोनी उसकी मदद के लिए दौड़ी, लेकिन बाद में वह भी मदद के लिए चिल्लाने लगी। इसके बाद, उसकी मां किरण दौड़ीं। बाद में, 15 वर्षीय गांधी और 10 वर्षीय नंदिनी, जो बाहर पिछवाड़े में खेल रहे थे, वे भी घटनास्थल पर पहुंचे और उन पर भी हमला किया गया।
जब किरण ने अपने बच्चों को बचाने की कोशिश की, तो उस पर पीछे से किसी कठोर वस्तु से वार किया गया और वह गिर पड़ी। मदद के लिए चीख-पुकार सुनकर जब स्थानीय लोग इकट्ठा होने लगे तो हमलावर भाग गए।
पीड़ितों के एक रिश्तेदार ने कहा कि लड़के को यह बताकर सांत्वना दी गई कि उसके माता-पिता और भाई-बहन जीवित हैं और दूसरे अस्पताल में हैं।
इस बीच, छह मृतकों के शवों के किए गए पोस्टमाॅर्टम से अपराध की भीषण प्रकृति का पता चला। पुलिस सूत्रों ने कहा कि सत्य प्रकाश दुबे को बहुत नजदीक से सीने पर गोली लगी है।
एक अधिकारी ने कहा, "इससे उनकी छाती के दाहिनी ओर कालापन आ गया और उनकी मौत हो गई।" मृतकों में से एक प्रेम यादव की खोपड़ी टूटी हुई पाई गई, इसके अलावा उसके शरीर पर 10 गंभीर चोटें थीं, जो किसी भारी वस्तु से आई प्रतीत होती हैं।
अधिकारी ने कहा कि अन्य मृतकों, किरण, गांधी और नंदिनी को कई चोटें आईं, जबकि सलोनी की गर्दन को तेज धार वाले हथियार से काटा गया था। दुबे के आवास पर अपराध स्थल का दौरा करने वाले एक फोरेंसिक अधिकारी ने कहा कि मुख्य दरवाजे पर जबरन प्रवेश के निशान दिखाई दे रहे थे।
उन्होंने कहा, ''घर खून के धब्बों से बिखरा हुआ था।'' पुलिस ने सत्य प्रकाश की बड़ी बेटी निशा दुबे की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने कहा कि प्रेम यादव के परिवार की ओर से अभी तक शिकायत नहीं मिली है।
(आईएएनएस)
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