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चंडीगढ़ में डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन ने किया अदालत का बहिष्कार

चंडीगढ़। डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन चंडीगढ़ ने प्रिजाइडिंग अफसर पर वकील बिरादरी को अपमानित किए जाने का आरोप लगाते हुए अदालत का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
एसोसिएशन के मुताबिक प्रिजाइडिंग अफसर के तबादले तक वकील अपना संर्घष जारी रखेंगे। उधर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने भी डीआरटी बार एसोसिएशन के बहिष्कार को समर्थन देने का भरोसा दिया है। इस संदर्भ में बुधवार को डीआरटी बार रूम में हुई एसोसिएशन की अहम बैठक के दौरान प्रिजाइडिंग अफसर के खिलाफ ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित किया। बैठक में प्रिजाइडिंग अफसर को स्थानांतरित किए जाने तक अदालत का बहिष्कार करने का फैसला किया गया।
इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्रालय सचिव को लिखे पत्र में एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित रिशी और महासचिव सुमित बतरा ने कहा है कि प्रिजाइडिंग अफसर एम एम धोनचक के अडिय़ल रवैये को लेकर वकीलों को जबरदस्त मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा है कि प्रिजाइडिंग अफसर धोनचक एसोसिएशन के वकील सदस्यों को खुली अदालत में अपमाननित करते हैं। नियमित मुख्य पीठासीन अधिकारी होने के नाते वह वकीलों की उपस्थिति के लिए मजबूर करते हैं। जो सदस्य उपलब्ध नहीं होते उनके मामलों को खारिज करने या आर्थिक दंड लगाने की धमकी देते हैं।
एसोसिएशन के मुताबिक प्रिजाइडिंग अफसर के तबादले तक वकील अपना संर्घष जारी रखेंगे। उधर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने भी डीआरटी बार एसोसिएशन के बहिष्कार को समर्थन देने का भरोसा दिया है। इस संदर्भ में बुधवार को डीआरटी बार रूम में हुई एसोसिएशन की अहम बैठक के दौरान प्रिजाइडिंग अफसर के खिलाफ ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित किया। बैठक में प्रिजाइडिंग अफसर को स्थानांतरित किए जाने तक अदालत का बहिष्कार करने का फैसला किया गया।
इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्रालय सचिव को लिखे पत्र में एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित रिशी और महासचिव सुमित बतरा ने कहा है कि प्रिजाइडिंग अफसर एम एम धोनचक के अडिय़ल रवैये को लेकर वकीलों को जबरदस्त मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा है कि प्रिजाइडिंग अफसर धोनचक एसोसिएशन के वकील सदस्यों को खुली अदालत में अपमाननित करते हैं। नियमित मुख्य पीठासीन अधिकारी होने के नाते वह वकीलों की उपस्थिति के लिए मजबूर करते हैं। जो सदस्य उपलब्ध नहीं होते उनके मामलों को खारिज करने या आर्थिक दंड लगाने की धमकी देते हैं।
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