गाजीपुर की बेटियों ने रचा इतिहास : यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में दो छात्राएं बनीं प्रदेश की टॉपर, गंगा मौर्या 7वें और अनीता यादव 9वें स्थान पर

गाजीपुर। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के नतीजे जैसे ही घोषित हुए, गाजीपुर जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। वजह भी खास थी—यहां की दो बेटियों ने टॉप टेन में जगह बनाकर न केवल अपने माता-पिता और स्कूल का, बल्कि पूरे जिले का मान बढ़ा दिया है।
गंगा मौर्या : सब्जी विक्रेता की बेटी बनी प्रदेश की 7वीं टॉपर
गाजीपुर की गंगा मौर्या, जिन्होंने 96.83% अंक अर्जित करते हुए प्रदेश भर में 7वां स्थान प्राप्त किया है, सेंट लूदर्स कॉन्वेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज की छात्रा हैं। गंगा के पिता हृदय नारायण सब्जी का व्यवसाय करते हैं, जबकि मां गृहिणी हैं।
गंगा ने अपनी सफलता का श्रेय नियमित पढ़ाई, अनुशासन और परीक्षा के प्रति फोकस को दिया। वह भविष्य में इंजीनियर बनने का सपना देख रही हैं। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि साधारण परिवेश से भी असाधारण ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।
अनीता यादव : धागा फैक्ट्री में काम करने वाले की बेटी बनी 9वीं टॉपर
वहीं गाजीपुर के ही एससीएसए इंटर कॉलेज सलेमपुर बघाई की छात्रा अनीता यादव ने 96.50% अंक अर्जित कर प्रदेश में 9वां स्थान प्राप्त किया है। अनीता के पिता सुरेश यादव पंजाब में एक धागा फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं।
अनीता का कहना है कि उन्होंने कम संसाधनों में भी खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और पूरे आत्मविश्वास से परीक्षा की तैयारी की। उनकी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि आज वे प्रदेश की मेरिट लिस्ट में शुमार हैं।
जनपद में जश्न का माहौल
गाजीपुर जिले में इन दोनों छात्राओं की उपलब्धि से शैक्षणिक संस्थानों में उत्सव जैसा माहौल है। दोनों स्कूलों में मिठाई बांटी गई, ढोल-नगाड़े बजे, और शिक्षकों ने इन्हें गोद में उठाकर बधाई दी।
शिक्षकों और प्रशासन की प्रतिक्रिया
सेंट लूदर्स कॉलेज की प्रिंसिपल ने कहा, “गंगा ने हमारी उम्मीदों से कहीं ज्यादा करके दिखाया है। वह शुरू से ही मेधावी रही है।” एससीएसए कॉलेज के प्रबंधक ने कहा, “अनीता की लगन और मेहनत हर छात्र के लिए प्रेरणादायक है।”
गाजीपुर के जिलाधिकारी और एसपी ने भी दोनों छात्राओं को सम्मानित करने की घोषणा की है। शिक्षा विभाग की ओर से सम्मान समारोह आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है।
इन बेटियों की सफलता एक संदेश है : इन दोनों बेटियों की कहानी बताती है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। सीमाएं अगर हैं, तो केवल सोच की होती हैं।
एक सब्जी बेचने वाले की बेटी
एक मजदूर की बेटी
...और आज दोनों प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ छात्रों की सूची में सबसे ऊपर।
यह सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक लाने की कहानी नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मबल, परिवार के सहयोग और विश्वास की गाथा है।
शिक्षाविदों का मानना है कि ये बेटियां ‘रोल मॉडल’ बन सकती हैं उन छात्रों के लिए, जो संसाधनों की कमी का रोना रोते हैं।इन दोनों ने साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य साफ हो और नीयत मजबूत, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
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