Dashing of two departments in philibhit DM Instructions by rising malnutrition-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Mar 28, 2024 10:36 pm
Location
Advertisement

दो विभागों की खींचतान, बढ़ रहे कुपोषण से डीएम की लताड

khaskhabar.com : शनिवार, 17 फ़रवरी 2018 2:06 PM (IST)
दो विभागों की खींचतान, बढ़ रहे कुपोषण से डीएम की लताड
पीलीभीत। पीलीभीत की सांसद और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी के क्षेत्र में कुपोषण पनप रहा है। बचपन को कुपोषण से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने अनूठा कदम उठाया है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 0 से 5 साल तक के कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में पुनर्वास केन्द्र की स्थापना की गयी है लेकिन आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के बीच ये योजना फंस गई है। दोनों विभागों की रसाकशी के चलते कुपोषण अपने पांव पसार रहा है। वर्तमान में करीब 38 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसमें से करीब 12 हजार बच्चे अतिकुपोषित है। यह आंकड़े वजन दिवस पर कराए गए सर्वे में सामने आए है। जिसके बाद जिलाधिकारी शीतल वर्मा ने दोनों ही विभागीय अधिकारियों की जमकर लताड़ लगाई। हालांकि कुपोषण के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय पोषण मिशन योजना संचालित कर रही है लेकिन हकीकत में कुछ और ही है।

कुपोषण से निजात पाने के लिए सरकार तो प्रयास कर रही है लेकिन जमीनी तौर पर विभागीय लापरवाही से सब प्रयास बेकार साबित हो रहे है। बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए सरकार पोषण मिशन योजना चलाई। जिसमें वजन दिवस के अवसर पर जिले भर के 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन किया गया। मेडिकल कितने साल के बच्चे के लिए कितना वजन होने पर बच्चा सामान्य होगा। बीती जनवरी माह में वजन दिवस पर हुई तौल के बाद जनपद पीलीभीत में 12,699 बच्चे अति कुपोषित और 25882 बच्चे कुपोषित पाए गए थे। यानी कुल मिलाकर 38521 बच्चों में कुपोषण के लक्षण मिले है।
कुपोषित बच्चों के लिये जिला अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है। इसमें कुपोषित बच्चों का इलाज होता है। गर्भवती महिलाओं की सेहत का भी ख्याल रखते हुए उनको भोजन दिया जा रहा है। इस नववर्ष में जनवरी 2018 से अब तक लगभग 200 बच्चों का इलाज किया जा चुका है।
कुपोषण की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आईसीडीएस विभाग पर आती है। जिसके द्वारा जिले में 1923 आंगनबाड़ी केंद्र चलाये जा रहे हैं। केंद्र पर तैनात स्टॉफ भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। इन्ही के द्वारा गर्भवती महिलाओं को पौषटिक आहार व बच्चो को पौषटिक दलिया व सत्तू दिया जाता है। जोकि अब डेयरी पर गाय-भैंस खाती है। आंगनवाडी कार्यकत्री इन्हे बच्चों में ना बाॅटकर डेयरी संचालकों को बेच देती है। वहीं जब आईसीडीएस के विभागीय अधिकारियों से बात हुयी तो उन्होने अपनी जिम्मेदारी से पडला झाडते हुये पूरा दोष स्वास्थ्य विभाग के उपर मढ दिया। तो वहीं स्वास्थ्य विभाग आईसीडीएस पर आरोप लगा रहा है।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar UP Facebook Page:
Advertisement
Advertisement